इंफाल :इरोम शर्मिला को 10,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया है, आज दो गवाहों से पूछताछ के बाद उन्हें रिहा किया गया है. साथ ही 23 अगस्त को एक बार फिर अदालत में इरोम शर्मिलाको पेश किया जायेगा. ये जानकारी इरोम शर्मिला की वकील ने दी. मणिपुर की ‘लौह महिला’ इरोम चानू शर्मिला ने आज अपना उपवास भी तोड़ा है. उनका यह उपवास 16 साल से जारी था. शर्मिला को स्थानीय अदालत में लाया गया जहां उपवास तोड़ने के बाद 10000 रुपये के निजी मुचकले पर उन्हें रिहा कर दिया गया.
Irom Sharmila has been released on Rs.10,000 personal bond, says Lawyer of Irom Sharmila.
— ANI (@ANI) August 9, 2016
आपको बता दें कि सैन्य बल विशेषाधिकार कानून(अफस्पा) को खत्म करने की मांग को लेकर 16 साल पहले इरोम शर्मिला ने उपवास शुरू किया था जिसे पिछले दिनों उन्होंने तोड़ने का निर्णय लिया. शर्मिला को जीवित रखने के लिए कैदखाने में तब्दील हो चुके अस्पताल में उन्हें साल 2000 से ही नाक में ट्यूब के माध्यम से तबरदस्ती खाना दिया जा रहा था. गौरतलब है कि उन्होंने पिछले महीने उपवास तोड़ने की घोषणा की थी और कहा था कि वह चुनाव अपना किस्मत आजमायेंगी.
चानू के संघर्ष का इतिहास में अहम स्थान
जानकारों की माने तो बीते 16 सालों से अनशन पर बैठीं इरोम शर्मिला चानू का संघर्ष आंदोलनों के इतिहास में अहम स्थान रखता है. उनकी मांग है कि हिंसक घटनाओं के कारण सरकार द्वारा अशांत घोषित किये गये क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र सेनाओं को मिले विशेषाधिकारों को समाप्त किया जाये. नवंबर, 2000 में मणिपुर में 10 लोगों की फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने की घटना के बाद अनशन शुरू करने के तुरंत बाद से ही वे हिरासत में हैं.
क्या कहा शर्मिला ने
शर्मिला ने पिछले महीने कहा था कि मैं नौ अगस्त को अपना अनशन समाप्त कर दूंगी. आंदोलन के प्रति आम लोगों की बेरुखी ने मुझे यह फैसला करने के लिए मजबूर किया है. अब मुझे नहीं लगता है कि अनशन से आफ्स्पा हट पायेगा, लेकिन मेरी लड़ाई जारी रहेगी. इसलिए मैं राजनीति में आऊंगी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ूंगी. उल्लेखनीस है कि शर्मिला को नाक में लगी एक नली द्वारा खाना दिया जाता है तथा इम्फाल के एक अस्पताल के कमरे को ही अस्थायी जेल के रूप में बदल दिया गया है, जहां उन्हें सीमित लोगों से मिलने-जुलने की अनुमति है.