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सरकार ने HC को बताया, अगस्ता घोटाले में इस साल दायर किया जाएगा आरोपपत्र

नयी दिल्ली : केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में 2013 में प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद एसआईटी जांच शुरू कर दी गई है और इस साल आरोपपत्र दायर किए जाने की संभावना है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल रंजीत […]

नयी दिल्ली : केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में 2013 में प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद एसआईटी जांच शुरू कर दी गई है और इस साल आरोपपत्र दायर किए जाने की संभावना है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार के अभिवेदन पर विचार किया और उस जनहित याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें अदालत की निगरानी वाली एसआईटी जांच और कुछ उन नेताओं तथा अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी, जिनके नाम का जिक्र कथित तौर पर हेलीकॉप्टर घोटाले में एक इतालवी अदालत के फैसले में किया गया है. सुनवाई के दौरान कुमार ने पीठ से कहा कि कोई भी अदालत से उपर नहीं है और मामले की गहन जांच की जा रही है जिसमें आरोपपत्र दायर किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर छह मई को केंद्र से जवाब मांगा था.

सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह पर प्राथमिकी पर जोर

याचिका में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित राजनीतिक नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने पर जोर दिया गया था जिनके नामों का जिक्र कथित तौर पर इटली की अदालत के फैसले में किया गया था. मामला राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित अति विशिष्‍ट लोगों को लाने ले जाने के वास्ते 12 हेलीकॉप्टरों का सौदा हासिल करने के लिए फर्म द्वारा भारतीयों को दी गई कथित रिश्वत से जुड़ा है. इस संबंध में सीबीआई ने 2013 में प्राथमिकी दर्ज की थी. याचिका में रक्षा मंत्रालय और सीबीआई को पक्ष बनाया गया. इसमें उन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी, जिनका नाम सात अप्रैल 2016 को मिलान में इतालवी अदालत द्वारा दिए गए फैसले में आया था.

इसमें अदालत की निगरानी वाली एसआईटी या सीवीसी जांच की मांग की गई थी और साथ ही कानूनी सवाल भी उठाए गए थे और कहा गया था कि क्या मुकदमा चलाने के लिए इतालवी अदालत का फैसला ‘पर्याप्त नहीं’ है. याचिका में कहा गया कि इटली में 2011 में इन आरोपों की जांच शुरू हुई कि अगस्तावेस्टलैंड ने सौदे को सुगम बनाने के लिए स्विटजरलैंड आधारित कंसल्टंट गुइडो राल्फ हैश्के को 51 मिलियन यूरो (350 करोड़ रुपये से अधिक) का कमीशन दिया था. इसमें कहा गया था, ‘इतालवी जांच का दायरा उस बिन्दु पर समाप्त हो जाएगा जहां कथित कमीशन का धन भारत पहुंचेगा. जांच इस बारे में नहीं जाएगी कि भारतीय प्रतिष्ठान में किसे धन दिया गया या नयी दिल्ली की सत्ता के गलियारों में फंड ने किस तरह काम किया.’

बोफोर्स घोटाले जैसा हो सकता है अगस्ता मामला

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को संदेह है कि इस मामले का हश्र बोफोर्स घोटाले जैसा हो सकता है. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सहित अति विशिष्ट लोगों के लिए 12 हेलीकॉप्टरों का यह सौदा 3,600 करोड़ रुपये का था जिसमें कथित तौर पर 360 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी. सीबीआई ने भारतीयों को कथित रिश्वत दिए जाने के सिलसिले में धोखाधडी, भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोपों में मामला दर्ज किया था. याचिका में कहा गया, ‘वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में वह कार्रवाई इटली में हुई. कंपनी के सीईओ को गिरफ्तार किया जा चुका है. लेकिन यहां कोई कार्रवाई नहीं की गई है. सौदे से जिस देश को फायदा हुआ, उसने तो कार्रवाई की है, लेकिन जिस देश को धन का नुकसान हुआ, उसने कोई कार्रवाई नहीं की है.’

Prabhat Khabar Digital Desk
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