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पांच करोड़ के जुर्माने पर ग्रीन ट्रिब्यूनल से आर्ट ऑफ लिविंग को मिला ग्रीन सिग्नल

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आज श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट आॅफ लिविंग को दिल्ली के यमुना बैंक इलाके में शनिवार से आरंभ होने वाले तीन दिवसीय विश्व सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजन की मंजूरी दे दी. इसके लिए श्री श्री रविशंकर की संस्था पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. […]

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आज श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट आॅफ लिविंग को दिल्ली के यमुना बैंक इलाके में शनिवार से आरंभ होने वाले तीन दिवसीय विश्व सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजन की मंजूरी दे दी. इसके लिए श्री श्री रविशंकर की संस्था पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी ने कहा कि कार्यक्रम शुरू होने से पहले वह यह राशि जमा कराये. एनजीटी ने ऑर्ट ऑफ लिविंग से कल तक यह आश्वस्त करने को कहा है कि यमुना में एंजाइम नहीं डाले जायेंगे और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जायेगा. एनजीटी ने संवैधानिक कार्यों का निर्वहन नहीं करने के लिए डीडीए पर पांच लाख रुपये और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) से कड़े सवालों का सामना करने वाले जल संसाधन मंत्रालय ने आज अधिकरण को बताया कि उसने श्री श्री रविशंकर के आर्ट आफ लिविंग फाउंडेशन की ओर से 11 मार्च से आयोजित होने वाले ‘विश्व सांस्कृतिक महोत्सव’ के लिए अनुमति प्रदान नहीं की है, जबकि एक अन्य मंत्रालय ने कहा कि अस्थायी ढांचों के लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं होती.

जल संसाधन मंत्रालय ने हरित अधिकरण के सवालों का जवाब देते हुए स्वयं को विवाद से अलग किया और कहा कि उसने तीन दिवसीय कार्यक्रम के लिए कोई मंजूरी नहीं दी.

वहीं पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व वाली एनजीटी पीठ को बताया कि यमुना खादर क्षेत्र में अस्थायी ढांचे खड़े करने के लिए किसी भी पर्यावरण मंजूरी की जरूरत नहीं.

मंत्रालय का यह जवाब तब आया जब यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में महोत्सव का आयोजन रद्द करने की मांग वाली अर्जियों पर सुनवायी कर रहे अधिकरण ने पर्यावरण मंजूरी के संबंध में हलफनामा दायर नहीं करने को लेकर उसकी खिंचाई की थी.

सुनवाई के दौरान अधिकरण ने आर्ट आफ लिविंग के वकील से कहा कि वह दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की अनुमति के बिना यमुना नदी में कोई एन्जाइम नहीं डालें और इस बारे में निर्देश लें जिस पर फाउंडेशन ने बाद में सहमति जतायी.

अधिकरण ने साथ ही केंद्र, दिल्ली सरकार, डीडीए से पूछा कि क्या महोत्सव की तैयारी और उसके अनुवर्ती प्रभावों के संबंध में पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया गया.

दिल्ली सरकार ने अधिकरण को सूचित किया कि पुलिस ने मौके का निरीक्षण करने के बाद फाउंडेशन से यह दिखाने लिए कहा कि क्या उसके पास पीपे के पुल (पंटून पुल) की सुरक्षा मंजूरी और वाहन पार्किंग मंजूरी है. दिल्ली सरकार ने साथ ही पीठ को यह भी बताया कि केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने फाउंडेशन से कहा कि वह ढांचागत सुरक्षा को लेकर मुद्दों के चलते प्रधानमंत्री के लिए अलग मंच बनाये. इस दावे से आर्ट आफ लिविंग ने इनकार किया और कहा कि इसका निर्माण कार्यक्रम के बेहतर दृश्य के लिए किया जा रहा है.

जल संसाधन मंत्रालय के लिए पेश होने वाले वकील ने पीठ से कहा, ‘‘हमने कार्यक्रम के संबंध में कोई भी मंजूरी नहीं दी है और इस संबंध में हमारे पास कोई आवेदन लंबित नहीं है.’ फाउंडेशन ने यद्यपि पीठ को सूचित किया कि लोगों की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाये गए हैं. फाउंडेशन ने कहा कि कार्यक्रम स्थल पर किसी भी अप्रिय घटना से देश की छवि को नुकसान होगा.

आर्ट आफ लिविंग ने कार्यक्रम पर होने वाले खर्च का ब्योरा देते हुए अधिकरण से कहा कि पूरे खर्च पर कुल 25.63 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

अधिकरण ने कार्यक्रम के लिए यमुना नदी पर सेना द्वारा पीपे का पुल बनाने पर कल सवाल खड़ा किया था. अधिकरण ने साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के वकील से पूछा था कि उसके निर्माण के लिए अनुमति किसने दी.

डीडीए, दिल्ली सरकार, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि पीपे के पुल के निर्माण की अनुमति से उनका कोई संबंध नहीं है. तीनों ने कहा कि वे अलग अलग मुद्दों को लेकर संबंधित हैं.

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