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बोले सतीश वर्मा, पूर्व नियोजित थी इशरत जहां की हत्या

नयी दिल्ली : इशरत जहां मामले में एक और खुलासा होने के बाद ट्विस्ट आ गया है. सीबीआई जांच में सहयोग करने वाले आईपीएस ऑफिसर सतीश वर्मा ने इस मामले में सामने आकर ऐसा बयान दिया है जिसने सबको चौंका दिया. उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि साल 2004 में गुजरात में हुआ […]

नयी दिल्ली : इशरत जहां मामले में एक और खुलासा होने के बाद ट्विस्ट आ गया है. सीबीआई जांच में सहयोग करने वाले आईपीएस ऑफिसर सतीश वर्मा ने इस मामले में सामने आकर ऐसा बयान दिया है जिसने सबको चौंका दिया. उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि साल 2004 में गुजरात में हुआ इशरत जहां एनकाउंटर एक पूर्व नियोजित हत्या थी. आतंरिक सुरक्षा सचिव आर,वी.एस मणि के द्वारा एक निजी चैनल को दिए बयान के बारे में वर्मा ने कहा कि मणी भी विटनेस थे इस कारण उनका जो बयान लेना था उसपर हस्ताक्षर नहीं होता है. हस्ताक्षर के लिए उनपर दबाव का प्रश्‍न ही नहीं उठता है.

अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए साक्षात्कार में वर्मा ने कहाकिहमारी जांच में पता चला है कि एनकाउंटर से कुछ दिन पहले आईबी अधिकारियों ने इशरत जहां और उसके तीन साथियों को उठा लिया और किसी गुप्त स्थान पर ले गए. उस वक्त भी आईबी के पास इस बात के सबूत या संकेत नहीं थे कि उक्त महिला का आतंकियों के साथ संबंध थे. इन लोगों को गैर कानूनी रूप से कस्टडी में रखा गया और फिर इनका एनकाउंटर कर दिया. उल्लेखनीय है कि मामले को लेकर गुजरात हाई कोर्ट की ओर से जांच के लिए स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) बनाई गयी थी सतीश वर्मा इस जांच दल के सदस्य थे.

अखबार से बात करते हुएवर्मा ने कहा कि एक बेगुनाह लड़की के बारे में राष्ट्रवाद और सिक्युरिटी से जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसा करके कुछ लोग खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. लश्कर आतंकियों को सुसाइड बॉम्बर बनने के लिए काफी लंबा समय लगता है. थ्री नॉट थ्री राइफल को ठीक से चलाने की ट्रेनिंग लेने में भी कम से कम 15 दिन लगते हैं. इतने वक्त तक तो इशरत जहां के घर से बाहर रहने के सबूत ही नहीं मिले. फिर वो फिदायीन हो सकती है यह कैसे ?

आपको बता दें कि महाराष्ट्र के मुंब्रा की रहने वाली इशरत जहां को उसके तीन अन्य साथियों के साथ उठा लिया गया था. बाद में इनका अहमदाबाद के बाहरी इलाके में एनकाउंटर कर दिया गया था. घटना 15 जून 2004 की है. इन लोगों पर आरोप लगाया गया था कि ये सभी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे.

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