नयी दिल्ली : जागरण फोरम के मंच पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भारत के विविधता में एकता का गुणगान किया. उन्होंने मंच से कहा कि भारत जैसी समावेशी राजनीति दुनिया के किसी भी देश में नहीं है. सिंह ने कहा कि यहां के ऋषियों और साधुओं ने पौराणिक काल में भी भारत के पड़ोसियों से बंधु-बांधव जैसा व्यवहार किया. उन्होंने किसी के साथ दुर्व्यवहार न करते हुए सबको अपनाया और अपने देश में शरण दी.
गृहमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति में समावेशी भाव का आभाव नहीं है. भारत के लोगों में दुनिया को एक परिवार की तरह देखने की क्षमता है. मुस्लिम समुदाय का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा कि दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश में 72 फिरके आपको देखने को नहीं मिलेंगे लेकिन भारत में मुस्लिम के 72 फिरके मौजूद हैं. यदि हमारे देश में समावेशी भावना नहीं होती तो ऐसा सद्भाव देखने को नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि पारसियों को यदि कहीं सम्मान मिला तो वह भारत ही है.
ईसाई धर्मालंबियों का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि भारत में दुनिया के प्राचीन चर्च में से एक मौजूद है जो करीब 2000 वर्ष पुराना है. यह केरल में मौजूद है. भारत में सभी धर्म के लोग सद्भाव के साथ रहते हैं. भारतीय लोकतंत्र की तारीफ करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि दुनिया में भारत अपने लोकतंत्र के लिए जाना जाता है. उन्होंने दो प्रमुख देशों का उल्लेख करते हुए कहा कि यूके और यूएस में दो पार्टियों के बीच फैसला होता है लेकिन भारत में आपको सैकड़ों पार्टियां मिल जायेंगी. यहां सभी को अपने विचार रखने की स्वतंत्रता है जो भारत को अन्य देशों से अलग करता है.
सिंह ने कहा कि भारत में यदि समावेशी भावना नहीं होती तो यहां विभिन्न भाषा, जाति और धर्म के लोग निवास नहीं करते. भारत में कभी सशस्त्र क्रांति नहीं हुई. यह भारत की अपनी पहचान है. यह भाव हमारे संस्कृति और परंपरा की देन है. संसद में जारी गतिरोध को उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष संसद को बंधक बनाने की कोशिश कर रहा है. सिंह ने कहा कि हम भारत को महान बनाना चाहते हैं जिसमें सबके साथ की आवश्यकता है. इसके लिए हर राजनीतिक दल में समावेशी भाव का मौजूद होना जरुरी है.

