नयी दिल्ली : देश में असहिष्णुता बढ़ने के आरोपों को ‘‘कागजी और बनावटी’ बता कर सरकार ने आज खारिज कर दिया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से देश को विश्वास दिलाया कि अगर कोई देश की सामाजिक और धार्मिक समरसता को बिगाड़ने की कोशिश करेगा तो उसकी खैर नहीं.
साथ ही उसने यह आश्वासन भी दिया कि अगर सरकार की ओर से कोई गलती हुई है तो वह उसमें सुधार करेगी. देश में असहिष्णुता की घटनाओं से उत्पन्न स्थिति के बारे में लोकसभा में कल शुरु हुई विशेष चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘मैं नाज के साथ कह सकता हूं कि विश्व में अगर कहीं सर्वाधिक सहिष्णुता है तो वह भारत में है.’
असहिष्णुता के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि असहिष्णुता का अगर कोई सबसे अधिक शिकार हुआ है तो वह भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं. उन्होंने कहा, ‘‘गृहमंत्री होने के नाते अपनी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से मैं देश को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि सामाजिक और धार्मिक समरसता को बिगाडने की अगर कोई कोशिश करेगा तो उसकी खैर नहीं.’
साथ ही उन्होंने असहिष्णुता के विरोध में पुरस्कार और सम्मान वापस करने वाले लेखकों, साहित्यकारों, वैज्ञानिकों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों से अपील की कि वे अपने पुरस्कार वापस लें और असहिष्णुता के मुद्दे पर विचार विमर्श और मार्गदर्शन के लिए वे एक बैठक आयोजित करें और उन्हें (राजनाथ) आमंत्रित करें. सिंह ने कहा, ‘‘अगर बुद्धिजीवियों और साहित्यकारों को लगता है कि असहिष्णुता का माहौल है तो आइये मिलबैठकर बात करें. हमारा मार्गदर्शन करें. अगर हमसे कोई गलती हुई है तो सुधार करें.’ कांग्रेस, वाम दल, राजद, जदयू और तृणमूल कांग्रेस ने हालांकि मंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए सदन से वाकआउट किया.
वी के सिंह और कुछ अन्य मंत्रियों तथा भाजपा नेताओं की टिप्पणियों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी के आरोप का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, ‘‘क्या पहले जब कभी ऐसी घटनायें हुई तो तब के प्रधानमंत्री ने प्रतिक्रियां दी. प्रधानमंत्री ने मुझे गृह मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है और घटनाओं पर प्रतिक्रिया देना मेरी जिम्मेदारी है. मैं उनपर बोलता भी हूं और आवश्यक कार्रवाई भी करता हूं.’
इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि उन्होंने विवादास्पद बयान देने वाले भाजपा के नेताओं से कहा है कि वे संभल कर और सोच समझ कर बोलें और यह सावधानी भी बरतें कि उनके बयानों की गलत व्याख्या न न हो सके. उन्होंने कहा कि वी के सिंह से स्वंय उन्होंने बात की और उन्होंने बताया कि उनकी बात को तोड़ मरोड़ कर रखा गया है. इस बारे में उन्होंने प्रेस में भी स्पष्टीकरण दिया और इसके बाद भी उन पर आरोप लगाना ठीक नहीं है. गृह मंत्री ने कहा, ‘‘असहिष्णुता के नाम पर कागजी और बनावटी गोले दागे जा रहे हैं. हमारा देश और समाज सहिष्णु है और ऐसा किसी के दबाव में नहीं है बल्कि सहिष्णुता हमारी परंपरा है.’
उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष सरकार पर असहिष्णुता के जो आरोप लगा रहा है वह सरकार पर नहीं बल्कि समाज और राष्ट्र पर है.’ सिंह ने कहा कि असहिष्णुता का आरोप लगाने वाले देश को बेवजह बदनाम कर रहे हैं. ये लोग तब कहां थे जब कश्मीर में लाइब्रेरियों को आग के हवाले कर दिया गया, तब कहां थे जब कश्मीरी पंडित वहां से भगाये गये, तब कहां थे जब 1984 में सिख विरोधी दंगे हुए और अकेले दिल्ली में 2000 से अधिक लोगों को मार दिया गया तथा 131 गुरुद्वारे नष्ट कर दिये गये.
अपने इस सवाल को जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग भागलपुर, मेरठ, हाशिमपुरा, मलियाना और नेल्ली में हुए नरसंहार के समय कहां थे. तसलीमा नसरीन को जब कोलकता से खदेडा गया और अभिव्यक्ति की आजादी पर डाका डाला गया तब ये लोग चुप क्यों थे.