मुंबई : गैंगस्टर छोटा राजन की इंडोनेशिया में गिरफ्तारी ‘‘महत्वपूर्ण” घटना है और उससे होने वाली पूछताछ से अंडरवर्ल्ड और उसके गिरोह से जुडे आपराधिक मामलों से संबंधित अभी तक के अज्ञात तथ्यों की जानकारी मिल सकती है. वर्तमान और पूर्व पुलिस अधिकारियों ने ऐसा दावा किया है.
मुंबई से भगोडे 55 वर्षीय छोटा राजन का वास्तविक नाम राजेन्द्र सदाशिव निकालजे है. दशकों तक पुलिस गिरफ्त से दूर रहने के बाद इंडोनेशियाई पुलिस ने कल उसे बाली से गिरफ्तार किया. शहर से अंडरवर्ल्ड को मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त एम. एन. सिंह ने कहा कि गैंगस्टर को देश में वापस लाए जाने तक वह उत्साहित नहीं होंगे.
वकालत कर रहे आईपीएस अधिकारी वाई. पी. सिंह ने कहा, ‘‘राजन की गिरफ्तारी जांच एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह अंडरवर्ल्ड-पुलिस-राजनीतिक गठजोड के संबंध में अज्ञात तथ्यों को उजागर कर सकता है.” सिंह ने कहा, यदि भारतीय एजेंसियां उससे पूछताछ करती हैं तो पत्रकार ज्योतिर्मय डे की 11 जून, 2011 को हुई हत्या के पीछे के षड्यंत्र की जानकारी और 1990 की दशक के आरंभ में अन्य पत्रकार पर हुई गोलीबारी के संबंध में सूचना मिल सकती है. आशंका है कि डे की हत्या छोटा राजन के इशारे पर हुई थी.
अपराध शाखा के एक अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने का अनुरोध करते हुए बताया, भारत और विदेशों में छोटा राजन के अपने लोगों की हत्याओं से उसके संबंध के बारे में भी पुलिस और अन्य एजेंसियों को जानकारी मिल सकती है.
उन्होंने बताया, ऐसा एक मामला राजन के करीबी सहयोगी गैंगस्टर फरीद तनाशा का है जिसकी दो जून 2010 को हत्या कर दी गयी थी. राजन को यह संदेह होने के बाद कि तनाशा उसे छोड़कर विरोधी गिरोह में शामिल होने की सोच रहा है, दोनों के संबंध खराब हो गए. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि राजन के मुख्य प्रतिद्वंद्वी अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहीम के भाई इकबाल कासकर पर 2010 में दक्षिण मुंबई में हुए जानलेवा हमले का मामला भी सुलझ सकता है.
राजन गिरोह के वित्तिय पहलूओं पर रोशनी डालते हुए, एक आईपीएस अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि शहर के कई छोटे-बडे बिल्डर, जिनपर अपराध जगत से जुडे होने का संदेह है, इसकी तपिश झेल सकते हैं. उन्होंने बताया कि मुंबई अपराध शाखा के पास ऐसे बिल्डरों की सूची है जिनके संबंध राजन गिरोह के साथ होने का पुलिस को संदेह है.
भगोडे गैंगस्टर की गिरफ्तारी पर सतर्कता के साथ प्रतिक्रिया देते हुए, एम. एन. सिंह ने कहा कि उसके भारत प्रत्यर्पण तक वह उत्साहित नहीं हैं. सिंह ने कहा, ‘‘अपने पिछले अविस्मरणीय अनुभवों के आधार पर मैं कहूंगा कि मैं अभी न तो बहुत उत्साहित हूं और न हीं बहुत आशान्वित हूं क्योंकि राजन का अभी भी देश के लिए प्रत्यर्पण होना बाकि है. यदि वह यहां प्रत्यर्पित होता भी है, वह बहुत बूढा, बीमार हो गया है और अपने गिरोह के साथ सक्रिय भी नहीं रह गया.”
मुंबई अंडरवर्ल्ड के खिलाफ लडाई के अपने दिनों को याद करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘15 साल हो गए जब राजन को 2000 में गोली लगी थी और वह अस्पताल पहुंच गया था. मैं तब मुंबई पुलिस आयुक्त था और तत्कालीन गृहमंत्री छगन भुजबल तथा अतिरिक्त गृहसचिव के साथ मैं विदेश मंत्री जसवंत सिंह से मिला था और उनसे अपराध शाखा की एक टीम बैंकाक भेजने का अनुरोध किया था.”
सिंह ने कहा, ‘‘जसवंत सिंह जी ने हमारा अनुरोध स्वीकार कर लिया और मैंने अपराध शाखा के तीन निरीक्षकों को राजन पर नजर रखने के लिए भेजा ताकि उसे गिरफ्तार की प्रत्यर्पित किया जा सके. हमारे अधिकारी वहां बिना किसी हथियार के एक पखवाडे तक रुके और स्थानीय पुलिस के साथ बातचीत की तथा नजर रखा.” सिंह ने कहा, लेकिन एक दिन अचानक खबर आयी कि राजन अस्पताल से भाग गया है, जो स्थानीय पुलिस के सहयोग के बगैर असंभव था.
हालांकि मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त एम. एन. सिंह ने दावा किया कि राजन की गिरफ्तारी से कुछ ज्यादा लाभ नहीं होने वाला क्योंकि… अंडरवर्ल्ड की गतिविधियां लगभग समाप्त हो चुकी है और दूसरा वह बहुत बूढा और बीमार हो गया है. उन्होंने यह भी कहा कि मुंबई पुलिस की अपराध शाखा को आगे आकर उसके हिरासत की मांग करनी चाहिए क्योंकि उसके खिलाफ दर्ज मामलों में सबसे ज्यादा मुंबई पुलिस के पास हैं. हालांकि सिंह का यह भी मानना है कि अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ और रैकेट में उसकी संलिप्तता का पता लगाने के लिए एनआईए और सीबीआई भी उससे पूछताछ कर सकती है.
