29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

ग्रामीणों का दिल जीतने को बंदूक के साथ हल भी चला रहे CRPF जवान

रायपुर : छत्तीसगढ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नक्सल समस्या के खात्मे के लिए प्रयासरत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान यहां ग्रामीणों का दिल जीतने के लिए हल भी चला रहे हैं. छत्तीसगढ के दक्षिण क्षेत्र बस्तर का जिला सुकमा राज्य के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है. नक्सली इस […]

रायपुर : छत्तीसगढ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नक्सल समस्या के खात्मे के लिए प्रयासरत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान यहां ग्रामीणों का दिल जीतने के लिए हल भी चला रहे हैं. छत्तीसगढ के दक्षिण क्षेत्र बस्तर का जिला सुकमा राज्य के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है. नक्सली इस जिले में लगातार घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं और माना जाता है कि भय की वजह से ग्रामीणों से सुरक्षा बलों को किसी भी तरह की मदद नहीं मिल पाती है. इस भय को दूर करने के लिए यहां तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने ग्रामीणों को खेती के दौरान मदद करने का फैसला किया है.

सुकमा जिले के खेतों में अभी बंदूक चलाने वाले जवानों को हल चलाते हुए भी देखा जा सकता है. सीआरपीएफ यहां के किसानों की जमीन को ट्रैक्टर से जुताई कर उपजाउ बनाने में मदद कर रहा है. सीआरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीएफ ने देखा कि यहां के किसान खेती के दौरान परंपरागत तरीके से खेती कर रहे हैं. इसके माध्यम से वह मेहनत तो खूब कर रहे हैं लेकिन उन्हें इस मेहनत का फायदा नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में इस अर्ध सैनिक बल के जवानों ने किसानों की मदद करने की सोची और अब किसानों की जमीन की जुताई के लिए ट्रैक्टर का प्रबंध किया जा रहा है.

अधिकारी कहते हैं कि इसके माध्यम से सीआरपीएफ और आदिवासियों के बीच अच्छे संबंध तो बन ही रहे हैं साथ ही इससे गरीब किसानों की मदद भी हो रही है. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के गरीब किसानों की मदद का विचार सीआरपीएफ की दूसरी बटालियन के कमांडेंट वीवीएन प्रसन्ना के मन में आया था। इसके बाद प्रसन्ना ने किसानों के सामने इस योजना को रखा। अब किसान अपने खेतों की जुताई के लिए सीआरपीएफ की मदद ले रहे हैं. अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीएफ ने इस खरीफ मौसम में जिले के सुकमा दोरनापाल सडक के किनारे बसे गांव मिसमा में लगभग एक सौ एकड खेत की जुताई की है. वहीं जिले के इंजरम और भेज्जी में भी खेतों की जुताई में मदद कर किसानों से संबंध सुधारने का प्रयास किया गया है.

उन्होंने बताया कि जब इस योजना की शुरुआत की गई तब गांव के किसान सुरक्षा बलों की मदद लेने से डर रहे थे। लेकिन बाद में जब ग्रामीणों के साथ अच्छे संबंध बने तब वह धीरे धीरे स्वयं ही मदद मांगने लगे। इस दौरान सुरक्षा बलों ने ग्रामीणों को समझाया कि ट्रेक्टर के माध्यम से खेतों की जुताई कर और उन्नत तरीकों का इस्तेमाल कर वह ज्यादा फसल उपजा सकते हैं. अधिकारियों ने बताया कि इस मानसून के दौरान ज्यादा संख्या में किसानों ने अपने खेतों की जुताई के लिए सीआरपीएफ से मदद मांगी है लेकिन प्रत्येक परिवार के केवल एक एकड खेत की ही जुताई की जा रही है. मिसमा गांव के आदिवासी परिवारों ने सीआरपीएफ से सबसे ज्यादा मदद ली है. खेती के अगले मौसम में इस संबंध में व्यापक इंतजाम करने की योजना है. अधिकारियों ने बताया कि हालांकि यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित है इसलिए किसानों के खेतों में कार्य के दौरान पर्याप्त सुरक्षा की व्यवस्था की जाती है. खेतों में ट्रैक्टर से जुताई के दौरान सीआरपीएफ जवान पूरे क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम करते हैं.

राज्य के सुरक्षा मामलों के जानकार सीआरपीएफ के इस कदम का स्वागत कर रहे हैं और उम्मीद जता रहे हैं कि ऐसे कार्य से ग्रामीणों और सुरक्षा बलों के बीच आपसी विश्वास का वातावरण बनेगा. राजधानी रायपुर स्थित विज्ञान महाविद्यालय में सुरक्षा विषय के प्राध्यापक गिरीश कांत पांडेय कहते हैं कि सुकमा जिला राज्य का सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित इलाका है. इस क्षेत्र में नक्सलियों का व्यापक दखल है और ऐसे में यदि सुरक्षा बल ग्रामीणों का विश्वास जीतने में कामयाब रहते हैं तब इससे नक्सल समस्या के समाधान में सहायता मिल सकती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें