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भाजपा में साबिर की वापसी पर इस बार क्यों चुप हैं मुख्तार अब्बास नकवी?

नयी दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी में साबिर अली की एक बार फिर वापसी हो गयी है. भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव की मौजूदगी में साबिर अली ने भाजपा की सदस्यता ली. ये वही साबिर अली है जिसकी लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में आने पर भाजपा के नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने बवाल […]

नयी दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी में साबिर अली की एक बार फिर वापसी हो गयी है. भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव की मौजूदगी में साबिर अली ने भाजपा की सदस्यता ली. ये वही साबिर अली है जिसकी लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में आने पर भाजपा के नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने बवाल खड़ा कर दिया था.

उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट करके उनकी सदस्यता ग्रहण करने पर अपनी बेबाक टिप्पणी दी थी. इस विरोध को देखते हुए भाजपा को उन्हें पार्टी से बाहर करना पड़ा था. इस बार भाजपा में साबिर की वापसी पर मुख्तार अब्बास नकवी ने चुप्पी साध ली है. एक टीवी चैनल के रिपोर्टर ने बार- बार उनसे सवाल पूछे पहले वो चुप रहे, फिर वहां से चुपचाप चले गये. आखिर इस चुप्पी के पीछे नकवी का क्या दर्द छिपा है. टीवी डिबेट और पार्टी पर लग रहे आरोपों पर बेबाकी से पार्टी का बचाव करने वाले और हर स्थिति में अपना बयान सामने रखने वाले नकवी पहली बार किसी सवाल से बचते नजर आये.

बिहार में मुस्लिम वोट बैंक पर सेंध लगाने में साबिर करेंगे मदद
बिहार में 18 से 20 फीसदी मुस्लिम वोट है. यह संख्या भले ही आकड़ों के आधार पर कम लगे लेकिन इन वोटों का बिहार की सत्ता में महत्व है. बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी ने यह अहम फैसला लिया है. संभव है कि इस वापसी के पहले मुख्तार अब्बास नकवी से बात की गयी हो लेकिन मीडिया में उनकी प्रतिक्रिया को देखकर राजनीति पर कड़ी नजर रखने वाले लोगों का मानना है कि इस संबंध में पार्टी ने नकवी से कोई राय- मशविरा नहीं किया.
संभव है कि उन्हें समय रहते मना लिया जाए लेकिन उन्होंने इस संबंध में चुप रहकर अपनी नाराजगी एक बार फिर कड़े अंदाज में ना सही लेकिन जाहिर कर दी है. फिलहाल भाजपा के पास बिहार में मुस्लिम चेहरे के रूप में शाहनवाज हुसैन का चेहरा है लेकिन इस चेहरे की रौनक का असर कम होने का भान पार्टी को है. शाहनवाज हुसैन भागलपुर से लोकसभा चुनाव हार चुके है. सुगबुगाहट थी कि इस बार शाहनवाज को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट किया जा सकता है लेकिन पार्टी ने इससे भी किनारा कर लिया. भाजपा बिहार में एक औऱ मुस्लिम चेहरा जनता के सामने खड़ा करना चाहती थी ताकि खिसकते वोट को थामने का एक जोरदार प्रयास किया जा सके. संभव है कि नकवी की चुप्पी का एक कारण पार्टी द्वारा खेला गया यह दांव भी हो.
नकवी की विरोध के बाद हुआ था जोरदार हंगामा
लोकसभा चुनाव के दौरान जब साबिर अली ने भाजपा की सदस्यता ली थी तो मुख्तार अब्बास नकवी ने उन्हें आतंकवादी भटकल का मित्र बता दिया था. उन्होंने पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कहा था कि कल दाऊद को भी पार्टी में शामिल कर लिया जायेगा. मीडिया में सवाल उठने लगे थे कि क्या मुख्तार अब्बास नकवी एक और मुस्लिम चेहरे के पार्टी में आने से डरे हुए है.
इस बयान पर जोरदार हंगामा हुआ था और साबिर अली की पत्नी नकवी के घर के बाहर धरने पर बैठ गयी थी. साबिर लगातार कहते रहे थे कि उनके और नकवी के बीच अच्छे रिश्ते हैं वो उनके बड़े भाई जैसे हैं. साबिर अली ने मुख्तार अब्बास नकवी पर मानहानि का मुकदमा कर दिया था बाद में कोर्ट को यह जानकारी दी गयी कि दोनों के बीच समझौता हो गया है.
साबिर ने फिर दी सफाई
भाजपा में शामिल होने के बाद जब मीडिया ने साबिर अली से पिछली बार के विरोध पर सवाल किया तो उन्होंने कहा, पिछली बार दोने के बीच गलतफहमी थी जो अबदूर हो गयी है हम दोनों पार्टी के कार्यकर्ता हैं और मिलकर काम करेंगे

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