नयी दिल्ली : साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण के मामले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला का स्टेंड काफी अलग था, वे नहीं चाहते थे कि आतंकियों को किसी भी कीमत पर छोड़ा जाए. इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण की घटना के समय यात्रियों को मुक्त कराने के बदले तीन खूंखार आतंकवादियों को छोडने का फैसला होने के बाद एक बैठक में वे तत्कालीन रॉ प्रमुख ए एस दुलाट पर बरस पड़े थे जिसके बाद उन्हें शांत कराया गया था.
दुलाट ने गुरूवार को इस वाकये को याद किया. उन्होंने कहा कि फारुक को लगा कि केंद्र सरकार का फैसला एक ‘गलती’ है और वह इस्तीफे के इरादे से राज्यपाल गिरीश चंदर सक्सेना के साथ बैठक के लिए पहुंचे थे, हालांकि राज्यपाल ने उन्हें शांत कराया. उन्होंने इंडिया टुडे टीवी के एक कार्यक्रम में करण थापर से कहा कि जब 24 दिसंबर को विमान का अपहरण हुआ तो आपदा प्रबंधन समूह :सीएमजी: की ओर से उस वक्त गडबडी हुई जब विमान को अमृतसर उतरने पर नहीं रोका गया.
दुलाट ने कहा कि कोई फैसला नहीं लेना चाह रहा था और इस असमंजस में पंजाब पुलिस के पास कोई दिशानिर्देश नहीं पहुंचाया गया। वे बहस करते रहे और विमान उड गया. पूर्व रॉ प्रमुख ने कहा कि सीएमजी ने 155 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को मुक्त करने की एवज में तीन आतंकवादियों को छोडने पर सहमति दी और फिर आठ दिनों के अपहरण संकट का अंत हुआ. जिन तीन आतंकवादियों को छोडा गया उनमें से दो मुश्ताक लतराम और मौलाना मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर की जेल में बंद हैं.