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कोयला घोटाला : अदालत ने CBI के जांच अधिकारी को चेताया, काम में सुधार लाने को कहा

नई दिल्ली : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा और कुछ अन्य लोगों की कथित संलिप्तता वाले कोयला घोटाले के एक मामले की जांच कर रहे सीबीआई के एक अधिकारी को विशेष अदालत ने चेतावनी दी है और उसे अपने काम में सुधार करने के लिए कहा है क्योंकि कुछ दस्तावेज अदालत में सौंपे बिना […]

नई दिल्ली : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा और कुछ अन्य लोगों की कथित संलिप्तता वाले कोयला घोटाले के एक मामले की जांच कर रहे सीबीआई के एक अधिकारी को विशेष अदालत ने चेतावनी दी है और उसे अपने काम में सुधार करने के लिए कहा है क्योंकि कुछ दस्तावेज अदालत में सौंपे बिना ही आरोपियों को थमा दिए गए थे.

सीबीआई निरीक्षक विजय चेत्तियार ने अदालत में इस मुद्दे पर लिखित स्पष्टीकरण दाखिल किया और कहा कि ऐसे कुछ व्यक्तियों के बयान ‘गलती से’ आरोपियों के पास चले गए, जिनके नाम प्राथमिकी में थे, लेकिन आरोप पत्र में शामिल नहीं है. उनके स्पष्टीकरण के बाद विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर ने उनसे पूछा कि ये दस्तावेज कैसे आरोपियों के पास चले गए, जबकि ये अदालत में सौंपी गई ‘ई-चालान’ की प्रति में शामिल नहीं थे.

न्यायाधीश ने कहा,’ अदालत में सौंपी गई ई-चालान की स्कैन की हुई प्रति में ये बयान शामिल नहीं थे, लेकिन आरोपियों की दी गई प्रति में ये बयान शामिल थे. यह कैसे हुआ.’ अदालत के सवाल का जवाब देते हुए जांच अधिकारी ने कहा कि आरोपियों को जो ई-प्रति दी गई थी उसे बाद में तैयार किया गया था और ये दस्तावेज गलती से उनके पास चले गए होंगे.

इस पर अदालत ने कहा, ‘ आप (जांच अधिकारी) अपने काम में सुधार करना शुरु कर दीजिए.’ विशेष सीबीआई अदालत ने कहा कि सीबीआई की ओर से इस मामले में दायर दस्तावेज भी सही क्रम में नहीं हैं. यह मामला झारखंड में राझरा उत्तर कोयला खदान के आवंटन में कथित अनियमितताआओं से संबंधित है. इसका आवंटन कोलकाता आधारित कपंनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) को किया गया था.

इस मामले में कोडा के अलावा पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता एवं झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु सहित आठ लोग आरोपी हैं. सम्मन के मद्देनजर उपस्थित होने के बाद अदालत ने पहले आठ आरोपियों को जमानत दे दी थी. अपने आरोप पत्र में सीबीआई ने कहा था कि वीआईएसयूएल ने आठ जनवरी, 2007 को राझर उत्तर कोयला खदान के लिए कोयला मंत्रालय के पास आवेदन किया था.

आरोप है कि झारंखड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने कोयला खदान आवंटन की अनुशंसा नहीं है, लेकिन 36वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने आरोपी कंपनी को खदान देने की सिफारिश की.

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