नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि राहुल गांधी ने संप्रग सरकार के समय चुप रहना पसंद किया क्योंकि उनके बोलने को प्रधानमंत्री अथवा उनकी मां की आलोचना के तौर पर मान लिया गया होता. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष के रुख में ‘अद्भुत परिवर्तन’ देखने को मिला है.
राहुल गांधी की ओर से मोदी सरकार पर आक्र्रामक अंदाज में हमला करने के संदर्भ में उमर ने कहा, ‘ जो राहुल यहां से गए थे, लौटने के बाद वो राहुल नहीं रहे.’ उन्होंने कहा,’ यह अद्भुत परिवर्तन है. मैं नहीं जानता कि इसकी क्या वजह है. मुझे उनसे मिलने का मौका नहीं मिला क्योंकि वह बहुत व्यस्त हैं लेकिन मैं नहीं जानता कि वह कहां गए थे और क्या किया…’
उमर ने कहा,’ यह परिवर्तन किस वजह से आया है, मैं जानने और सीखने की कोशिश करुंगा क्योंकि मेरा मानना है कि इसमें मेरे लिए भी सीखने के सबक हैं. मैं सिर्फ इतनी उम्मीद करता हूं कि इसका मतलब यह नहीं हो कि मुझे भी 56 दिनों के लिए गायब होना पडे. परंतु यह अच्छा है. उनको सलाम.’
उन्होंने कहा,’ पहले उनकी ओर से अपना विचार रखने का मतलब यह निकाला जाता कि वह प्रधानमंत्री की आलोचना कर रहे हैं अथवा अपनी मां की आलोचना कर रहे हैं. यह कभी भी आसान नहीं था. और ऐसे में मुझे लगता है कि उस वक्त उन्होंने चुप रहने का विकल्प चुना तथा इससे यह धारणा बढती चली गई कि वह बोल नहीं सकते और यह नहीं जानते कि वह क्या बोलना चाहते हैं.’
उमर ने कहा कि राहुल को बहुत कुछ कहना था लेकिन वह कहने की स्थिति में नहीं थे, जो कि विपक्ष में होने का फायदा होता है जहां अपना विचार रखा जाता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि राहुल अगले आम चुनाव तक अपनी यह गति बरकरार रखने में सफल रहेंगे.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,’ लोग यही सवाल पूछ रहे हैं और मुझे पूरा भरोसा है कि वह उन लोगों को गलत साबित करेंगे अगर वह इसे बरकरार रखते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘ मुझे लगता है कि जितना मैं उन्हें जानता हूं, अब उन्होंने अपना दिमाग बना लिया है और यह अगले आम चुनाव तक रहेगा.’