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भाजपा के नेतृत्व में मुस्लिम असुरक्षित नहीं : नजमा हेपतुल्ला

नयी दिल्ली: अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने इस बात को खारिज किया है कि भाजपा के नेतृत्व वाले शासन के दौरान मुस्लिम असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह समुदाय तो आजादी के बाद से ही अलग-थलग महसूस कर रहा है और इसकी वजह लगातार आई कांग्रेस सरकारों […]

नयी दिल्ली: अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने इस बात को खारिज किया है कि भाजपा के नेतृत्व वाले शासन के दौरान मुस्लिम असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह समुदाय तो आजादी के बाद से ही अलग-थलग महसूस कर रहा है और इसकी वजह लगातार आई कांग्रेस सरकारों की नीतियां हैं.

नजमा ने कहा, ‘‘मुस्लिम अलग-थलग हैं क्योंकि वे आर्थिक और शैक्षणिक रुप से पिछडे हुए हैं. अब लोग कह रहे हैं कि (मुस्लिमों के खिलाफ) दिए जा रहे बयान उन्हें अलग-थलग महसूस करवा रहे हैं.’’ नजमा ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि मुस्लिम आज अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. वे तो आजादी के बाद से अलग-थलग महसूस करते आए हैं क्योंकि उन्हें इतनी पिछडी स्थिति में भेज दिया गया.’’ नजमा दरअसल इस सवाल का जवाब दे रही थीं कि क्या दक्षिण पंथी तत्वों की आपत्तिजनक टिप्पणियां और घृणित भाषण मोदी सरकार के शासनकाल में मुस्लिम समुदाय को अलग-थलग कर रहे हैं? उन्होंने जवाब में कहा, ‘‘वे पहले ही अलग-थलग थे.
वे पिछडी स्थिति में भेज दिए गए थे क्योंकि वे शैक्षणिक और आर्थिक रुप से अलग-थलग थे और सामाजिक तौर पर अलग-थलग हो जाना इससे जुडा हुआ है. यहां से पूरी स्थिति की शुरुआत हुई. किसी के कुछ बयान देने भर से आप अलग-थलग महसूस नहीं करते.’’ कांग्रेस पर हमला बोलते हुए अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री ने कहा अपने उत्तरोतर शासनों में पार्टी ने मुस्लिमों को सिर्फ ‘‘मौखिक समर्थन’’ ही दिया है जबकि मौजूदा सरकार ने नीतिगत पहलों और कार्यक्रमों के जरिए चीजों को गति देना शुरु किया है.
हालांकि मंत्री ने भाजपा के कुछ नेताओं और मंत्रियों द्वारा की गई आपत्तिजनक बयानबाजी या ‘घर वापसी’ कार्यक्रम से जुडे विवाद और कुछ राज्यों में गौमांस पर लगाए गए प्रतिबंध पर प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया.
नजमा ने अमेरिका के धार्मिक पैनल की उस रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया, जिसकी रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 2014 के आम चुनावों के बाद से भारत में सांप्रदायिक माहौल बिगडा है. नजमा ने कहा कि विदेश में बैठे लोग अक्सर वास्तविकता से काफी दूर होते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘लोग कहीं और बैठकर रिपोर्टें तैयार करते हैं. वह यह नहीं समझते कि भारतीय समाज का तानाबाना कितना संवेदनशील है. गांवों में हिंदू और मुस्लिम सदियों से एकसाथ रहते आए हैं और रह रहे हैं.’’उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग देश में असहमति और मतभेद पैदा करना चाहते हैं, उनमें समझ नहीं है..वे अमेरिका में बैठते हैं और ऐसी रिपोर्टें बनाते हैं.’’
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए नजमा ने कहा कि जिस पार्टी ने आज तक वर्ष 1984 के सिख-विरोधी दंगों की जिम्मेदारी नहीं ली है, वह अल्पसंख्यकों के हितों की बात कर रही है. वर्ष 2004 में कांग्रेस छोड चुकी नजमा ने कहा, ‘‘उनके शासनकाल के दौरान सिखों का कत्लेआम हुआ. वह एक जनसंहार था.
क्या उन्होंने कोई जिम्मेदारी ली? आज भी लोग अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं और वे अल्पसंख्यकों की बात कर रहे हैं.’’ मुस्लिमों के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता बताने के लिए उन्होंने युद्ध प्रभावित यमन में फंसे भारतीयों को हाल ही में निकाले जाने के अभियान का संदर्भ दिया. वहां से निकाले गए लोगों में अधिकतर लोग मुस्लिम थे.
नजमा ने कहा, ‘‘आज ज्यादा मुस्लिम सरकारी सेवा में नहीं हैं. यह भाजपा ने नहीं किया. आरएसएस ने नहीं किया. सरकार में तो कांग्रेस थी. वे इसके लिए जिम्मेदार हैं.’’ मंत्री ने कहा कि उनके मंत्रलय को किए जाने वाले बजट आवंटन में इस साल कटौती नहीं की गई. बल्कि राज्यों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त हस्तांतरण किया गया.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम की अधिकृत शेयर पूंजी को 1500 करोड रुपए से बढाकर 3000 करोड रुपए करने का प्रस्ताव भी इस साल फरवरी में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित कर दिया गया. पिछली संप्रग सरकार ऐसा करने में विफल रही थी.

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