13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जीएसटी विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की विपक्ष की मांग खारिज, चर्चा शुरु

नयी दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेजने की विपक्ष की मांग को अध्यक्ष द्वारा खारिज किये जाने के साथ ही आज लोकसभा ने महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार से संबंधित इस बहुप्रतीक्षित संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा शुरु की. विधेयक पर सदन में करीब आधे घंटे तक प्रक्रियात्मक तर्क […]

नयी दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेजने की विपक्ष की मांग को अध्यक्ष द्वारा खारिज किये जाने के साथ ही आज लोकसभा ने महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार से संबंधित इस बहुप्रतीक्षित संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा शुरु की.

विधेयक पर सदन में करीब आधे घंटे तक प्रक्रियात्मक तर्क वितर्क के दौरान विपक्ष ने इस विधेयक को यह कहते हुए वित्त संबंधी स्थायी समिति को भेजे जाने पर जोर दिया कि यह एक नया विधेयक है.

कांग्रेस, बीजू जनता दल , अन्नाद्रमुक और माकपा के सदस्यों ने इस विधेयक के साथ ही कई अन्य विधेयकों को संसद की स्थायी समितियों में नहीं भेजने के लिए सरकार की आलोचना की और कहा कि सरकार संसद की स्थायी समितियों को नजरअंदाज कर रही है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तर्क दिया कि यदि जीएसटी विधेयक को समिति के पास भेज दिया जाता है तो इससे राज्यों को मिलने वाले वित्तीय लाभों में और एक वित्त वर्ष की देरी हो जाएगी क्योंकि इससे यह विधेयक एक अप्रैल 2016 की समय सीमा तक कानून का रुप नहीं ले पाएगा.

उन्होंने कहा कि स्थायी समिति पहले ही इस पर करीब ढाई साल तक चर्चा कर चुकी है और विधेयक के प्रावधानों पर राज्यों के वित्त मंत्रियों की उच्च अधिकार संपन्न समिति में कुछ बिंदुओं को छोडकर ‘‘व्यापक आम सहमति’’ है. इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि राज्यों के वित्त मंत्रियों की उच्च अधिकार संपन्न समिति के जरिए केंद्र और राज्यों के बीच एक प्रकार की आम सहमति बनकर सामने आयी है.

विपक्ष को साथ लाने का प्रयास करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सभी कांग्रेस शासित राज्य सरकारों ने विधेयक का समर्थन किया है और तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल सरकार और बीजद शासित ओडिशा सरकार को इससे पहले दिन से ही सबसे अधिक फायदा होगा.

उन्होंने विपक्षी दलों से दलगत भावना से उपर उठकर विधेयक का समर्थन करने की अपील करते हुए कहा कि विधेयक के पारित होने में देरी करने से कोई मकसद हल नहीं होगा क्योंकि इससे राज्यों को ही वित्तीय रुप से नुकसान होगा.जेटली ने कहा कि जीएसटी के बाद सरकार ने केंद्र और राज्यों की शक्तियों पर तीन विधेयकों का प्रस्ताव किया है क्योंकि जीएसटी एक संविधान संशोधन विधेयक है.

आसन पर मौजूद उपाध्यक्ष एम थम्बीदुरै ने कहा कि बीजद के भृतुहरि मेहताब ने अध्यक्षसुमित्रामहाजन से अपील की थी कि विधेयक को स्थायी समिति को भेज दिया जाए क्योंकि यह पूरी तरह एक नया विधेयक है.उन्होंने कहा कि अरुण जेटली ने अध्यक्ष से इसे स्थायी समिति में नहीं भेजने का अनुरोध किया था और अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर चुकी हैं.

इससे पहले बीजद के मेहताब ने विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की मांग करते हुए दावा किया कि विभाग संबंधी स्थायी समितियां अपनी प्रासंगिकता खो रही हैं. मौजूदा सरकार द्वारा लाये गये 51 विधेयकों में से 44 विधेयकों को स्थायी समिति में नहीं भेजा गया। उन्होंने कहा कि इससे एक गलत संदेश जा रहा है कि स्थायी समिति की अब और जरुरत नहीं है.

कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि भाजपा जब विपक्ष में थी तो वह विधेयकों को स्थायी समिति में भेजने की पुरजोर वकालत किया करती थी.अन्नाद्रमुक के पी वेणुगोपाल ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है क्योंकि इसमें अनेक विरोधाभास हैं और यह तमिलनाडु जैसे राज्य के लिए नुकसानदेह है.

माकपा के पी करुणाकरण ने विधेयक का तो समर्थन किया लेकिन इसे स्थायी समिति में भेजने की मांग की.इससे पहले आरएसपी के एन के प्रेमचन्द्रन ने प्वांइट आफ आर्डर के जरिये इस विधेयक की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया. आसन ने बाद में अपने नियमन में कहा कि संवैधानिक वैधता पर गौर करना अदालतों का विशेषाधिकार है. स्पीकर इस बारे में नियमन नहीं दे सकते.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें