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सुभाष चंद्र बोस की जासूसी का मामला : नेताजी के पौत्र ने बर्लिन में की नरेंद्र मोदी से मुलाकात

बर्लिन : नेताजी सुभाष चंद्र बोस के करीबी रिश्तेदारों की जासूसी कराने पर छिड़े विवाद के बीच नेताजी के पौत्र सूर्य कुमार बोस ने यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उनसे जुड़ी सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किये जाने की मांग की. सूर्य ने कल रात मोदी के सम्मान में जर्मनी में भारतीय […]

बर्लिन : नेताजी सुभाष चंद्र बोस के करीबी रिश्तेदारों की जासूसी कराने पर छिड़े विवाद के बीच नेताजी के पौत्र सूर्य कुमार बोस ने यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उनसे जुड़ी सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किये जाने की मांग की. सूर्य ने कल रात मोदी के सम्मान में जर्मनी में भारतीय राजदूत विजय गोखले की ओर से आयोजित समारोह में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री से मुलाकात की.

सूर्य ने बाद में कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि दस्तावेजों को जल्द सार्वजनिक किया जाये क्योंकि वह हालिया खबरों से स्तब्ध हैं कि जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने नेताजी के परिवार की जासूसी करायी थी.

मोदी के जवाब के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि मामले को वह ठीक से देखेंगे क्योंकि उन्हें भी लगता है कि सच सामने आना चाहिए.सूर्य ने नेहरू सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह स्तब्धकारी है कि स्वतंत्र भारत की एक सरकार ने नेताजी के परिवार की जासूसी की थी. उन्होंने कहा, सरकार को सच सामने लाना चाहिए. सूर्य ने कहा कि सच सामने लाने के लिए एक जांच आयोग होना चाहिए.

सूर्य ने कहा, सरकार को ऐसी मिथ्या बातों के प्रसार पर भी रोक लगानी चाहिए कि अहिंसा के कारण ही आजादी मिली जबकि सुभाष बोस के योगदान के बिना इसे हासिल नहीं किया जा सकता था. पहले के जांच आयोगों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, पहला दो तो पूरी तरह से फर्जी थे. उन्होंने कहा कि मुखर्जी आयोग ने कुछ किया लेकिन उसके पास जांच की शक्तियां नहीं थी.

सूर्य ने रविवार को कहा था, सुभाष चंद्र बोस महज अपने परिवार तक ही सीमित नहीं थे. उन्होंने खुद कहा था कि पूरा देश उनका परिवार है. मुझे नहीं लगता कि यह विषय (नेताजी के दस्तावेजों को सार्वजनिक करने के) उठाने की जिम्मेदारी केवल परिवार की है. हैमबर्ग में इंडो-जर्मन एसोसिएशन के अध्यक्ष सूर्य को मोदी के सम्मान में आयोजित समारोह में शामिल होने के लिए भारतीय दूतावास ने आमंत्रित किया था.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक आरटीआई के जवाब में नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने से मना कर दिया था और कहा था कि ऐसा करने से दूसरे देशों के साथ रिश्ते प्रभावित होंगे.

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