नयी दिल्लीः कोयला खानों की अगले महीने प्रस्तावित नीलामी में किसी खान के लिए यदि तीन से कम बोलीदाता होते हैं, तो संबंधित खान मनोनीत प्राधिकार के पास जा सकती है या निविदा प्रक्रिया रद्द हो सकती है. सरकार अगले महीने अनुसूची दो के अंतर्गत आनेवाली 23 खानों की नीलामी अगले महीने करेगी.
श्रेणी दो के अंतर्गत वे खानें हैं, जहां उत्पादन हो रहे हैं. कोयला मंत्रलय ने कहा कि नीलामी शुरू करने तथा उसे संपन्न होने के समय के बारे में बाद में सूचना दी जायेगी. संभव है कि नीलामी कई दिनों तक चले. बोलीदाताओं द्वारा अनुसूची दो की खानों की नीलामी से जुड़े निविदा दस्तावेज के संदर्भ में उठाये गये कई सवालों के जवाब में मंत्रलय ने यह बात कही. मंत्रलय ने यह भी कहा कि अगर बोलीदाताओं के पास ऐसे कई संयंत्र हैं, जहां कोयले का उपयोग हो रहा है, तो वे अलग-अलग बोली दे सकते हैं.
हाइकोर्ट ने केंद्र से पूछा इस्तेमाल में बदलाव का अधिकार देता है अध्यादेश?
दिल्ली हाइकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र से पूछा कि क्या कोयला अध्यादेश सरकार को कोयला खदानों के अंतिम इस्तेमाल में बदलाव का अधिकार देता है. साथ ही कोर्ट ने ब्लॉकों की नीलामी के लिए सरकार की जल्दबाजी पर भी सवाल उठाये. अदालत ने यह भी जानना चाहा कि क्या जेएसपीएल व उसके प्रवर्तक नवीन जिंदल द्वारा उठाये गये मुद्दों की उसके द्वारा समीक्षा तक नीलामी प्रक्रिया को रोका जा सकता है.जस्टिस बदर दुरेज अहमद व जस्टिस संजीव सचदेव की पीठ ने पूछा कि जब तक मामले की समीक्षा हो रही है, नीलामी को क्यों नहीं रोक सकते. अदालत ने कोयला मंत्रलय से सवाल किया कि कैप्टिव बिजली के इस्तेमाल को इससे बाहर क्यों रखा गया है, जबकि यह अध्यादेश में शामिल है. जिंदल स्टील एंड पावर (जेएसपीएल) तथा नवीन जिंदल की याचिकाओं पर कोर्ट द्वारा पूछे गये इन सवालों के जवाब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन शुक्रवार को देंगे.
नीलामी आधारित होगा कोयला आपूर्ति अनुबंध
सरकार किसी खान विशेष से कोयला आपूर्ति के अनुबंध नीलामी के आधार पर तय करने पर विचार कर रही है. इसके लिए विभिन्न मॉडलों पर विचार करने को लेकर 16 सदस्यीय अंतर मंत्रालयी समिति गठित की गयी है. इसमें बिजली, रेलवे, इस्पात एवं कानून जैसे मंत्रलयों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. नीति आयोग से सदस्य और कोल इंडिया लिमिटेड, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड और सीएमपीडीआइएल समेत अन्य कंपनियों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक भी समिति में होंगे. नयी व्यवस्था का उद्देश्य कोयला आपूर्ति व्यवस्था में पारदर्शिता लाना है.