बेंगलुरु : भारत के मंगलयान अभियान सहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का विभिन्न सफलताओं में नेतृत्व करने वाले संगठन के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन आज सेवानिवृत्त हो गए.
भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने राधाकृष्णन को उदास मन से विदाई दी और उन्हें प्रतिष्ठित नेतृत्वकर्ता बताया. इसरो ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि राधाकृष्णन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी से ऐसे समय जा रहे हैं जब वह अपने सबसे गौरवान्वित स्थान पर है. राधाकृष्णन का इसरो प्रमुख, अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष के रुप में कार्यकाल इस वर्ष अगस्त में चार महीने यानि 31 दिसम्बर 2014 तक कार्यात्मक आधार और लोक हित में बढाया गया था.
देश के तीसरे सबसे बडे नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित राधाकृष्णन को नेचर साइंस जर्नल ने 2014 के दस शीर्ष वैज्ञानिक हस्तियों में से एक चुना था.
राधाकृष्णन ने केरल विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद 1972 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से जुडे और इस पद तक पहुंचे. राधाकृष्णन को इसरो के तत्कालीन अध्यक्ष प्रो. सतीश धवन ने इसरो के मुख्यालय में बजट और आर्थिक विश्लेषण गतिविधियों की निगरानी करने के लिए चुना था.
उन्होंने इसके बाद कभी पीछे मुडकर नहीं देखा और उनकी उपलब्धियों का शिखर लाल ग्रह मंगल के लिए ‘मंगलयान मिशन’ था. अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने गत 24 सितम्बर को तब इतिहास रच दिया और उसके कम कीमत के मंगल अंतरिक्ष यान को पहले ही प्रयास में सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित कर दिया गया. इसके साथ ही देश ऐसा करने वाले तीन देशों के क्लब में शामिल हो गया.
के. राधाकृष्णन के आज सेवानिवृत्त होने के बाद पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. शैलेश नायक को अंतरिक्ष विभाग के सचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया.
इसरो के एक शीर्ष अधिकारी ने पीटीआई से कहा, पृथ्वी विज्ञान विभाग के सचिव डा. शैलेश नायक को डीओएस (अंतरिक्ष विभाग) के सचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. यह नियुक्ति राधाकृष्णन की सेवानिवृत्ति के बाद की गई है जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में इसरो का महत्वपूर्ण उपलब्धियों के दौरान नेतृत्व किया.
राधाकृष्णन का इसरो प्रमुख, अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष के रुप में कार्यकाल इस वर्ष अगस्त में चार महीने यानि 31 दिसम्बर 2014 तक कार्यात्मक आधार और लोक हित में बढा दिया गया था.
61 वर्षीय नायक ने इसरो में 29 वर्ष तक कार्य किया. उन्होंने इसके साथ ही मई 2006 से अगस्त 2008 तक इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इन्फॉर्मेशन सर्विसेज में काम किया.
शैलेश नायक ने 27 अगस्त 2008 को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव का प्रभार संभाला था.