uddhav thackeray vs sharad pawar: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में खटास बढ़ती जा रही है. महाविकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस और शिवसेना के बीच चल रही तनातनी के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सीधे एनसीपी से पंगा ले लिया है. उद्धव ठाकरे ने भीमा-कोरेगांव मामले को एनआईए के हाथ में दे दिया है जो एनसीपी प्रमुख शरद पवार को रास नहीं आ रहा है. सरकार में शामिल लोगों के नाराज हो जानें से यह सवाल खड़े होने लगे हैं कि आखिर महाविकास अघाड़ी की सरकार 5 साल पूरे कर पाएगी या औंधे मुंह बीच में ही गिर जाएगी….
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भीमा-कोरेगांव केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने का काम किया और ऐसा करते हुए उन्होंने अपनी सरकार के गृह मंत्रालय के फैसले को पलट दिया. अनिल देशमुख ने उद्धव के इस फैसले पर नाराजगी जतायी है. आपको बता दें कि अनिल देशमुख सूबे के गृहमंत्री के साथ-साथ एनसीपी नेता भी हैं.
राज्य में महाविकास अघाड़ी बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सुप्रीमो शरद पवार ने इस पूरे मामले को पर नाराजगी जताते हुए उद्धव ठाकरे को आड़े हाथ लिया. उन्होंने भीमा-कोरेगांव मामले की जांच एनआईए को सौंपने के फैसला को ‘असंवैधानिक’ करार दिया है. पत्रकारों से बातचीत करते हुए शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपकर अच्छा नहीं किया क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है. आगे उन्होंने कहा कि इससे भी ज्यादा गलत बात यह हुई कि ठाकरे सरकार ने इसका समर्थन करने का काम किया.
आपको बता दें कि दो साल पहले भीमा-कोरेगांव में दलितों के एक कार्यक्रम के दौरान जमकर हिंसा हुई थी. इस हिंसा में एक व्यक्ति की जान चली गयी थी. राज्य में जब सरकार बदली तो एनसीपी ने संकेत दिये थे कि पूरे मामले की नये सिरे से जांच कराने का काम किया जाएगा.