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114 साल बाद रेलवे में बड़ा बदलाव, आठ सेवाओं का होगा विलय

नई दिल्ली : मोदी सरकार रेलवे में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव करने जा रही है. सरकार ने भारतीय रेलवे में 1905 से चली आ रही पुरानी व्यवस्था को खत्म करने का फैसला किया है. 114 साल पुराने रेलवे के सभी आठ कैडरों का विलय कर एक नया कैडर ‘भारतीय रेल सेवा’ बनेगा. इसके […]

नई दिल्ली : मोदी सरकार रेलवे में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव करने जा रही है. सरकार ने भारतीय रेलवे में 1905 से चली आ रही पुरानी व्यवस्था को खत्म करने का फैसला किया है. 114 साल पुराने रेलवे के सभी आठ कैडरों का विलय कर एक नया कैडर ‘भारतीय रेल सेवा’ बनेगा. इसके अलावा, रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन भी किया जायेगा. इसमें चेयरमैन सहित पांच सदस्य ही होंगे. फिलहाल, आठ सदस्य हैं. अब जो नया सिस्टम बनाया जा रहा है. उसमें चेयरमैन सीइओ की तरह काम करेगा और सभी तरह के मामलों में वह फाइनल अथॉरिटी होगा.

नये बोर्ड में चेयरमैन के अलावा चार सदस्य भी होंगे जो फाइनेंस, ऑपरेशंस एंड बिजनस डेवलपमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर और रोलिंग स्टॉक पोर्टफोलियो को देखेंगे. साथ ही नयी व्यवस्था में एक ह्यूमन रिसोर्स का डायरेक्टर जनरल होगा, जो चेयरमैन व सीइओ को रिपोर्ट करेगा.इसके साथ ही बोर्ड में कुछ इंडिपेंडेंट मेंबर भी होंगे, जो फाइनेंस, इंडस्ट्री और मैनेजमेंट के क्षेत्र के जाने-माने नाम होंगे. रेलवे बोर्ड अब बहुत हद तक कॉरपोरेट कंपनी के बोर्ड की तरह होगा. ट्रैफिक, रोलिंग स्टॉक, ट्रैक्शन और इंजीनियरिंग के सदस्यों का पद समाप्त कर दिया गया है.बोर्ड में ट्रैफिक, रोलिंग स्टॉक, ट्रैक्शन और इंजीनियरिंग के सदस्यों का पद समाप्त, कॉरपोरेट कंपनी के बोर्ड की तरह होगा रेलवे बोर्ड
क्या रही मुख्य वजह
रेलवे अब मैनेजमेंट सर्विस के तहत एकीकृत सिस्टम पर काम करेगा. दरअसल, सरकार के पास पिछले काफी समय से सुझाव आ रहे थे कि अलग-अलग शाखा रहने के कारण आपस में बेहतर तरीके से तालमेल नहीं हो पा रहा है. इसके कारण रेलवे को अपने प्रोजेक्ट पूरे करने में कई तरह की परेशानियां आ रही हैं.
अगले 12 वर्षों में 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव
रेलवे ने अगले 12 वर्षों के दौरान 50 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश से आधुनिकीकरण के साथ-साथ यात्रियों को उच्च मानकों वाली सुरक्षा, गति एवं सेवाएं मुहैया कराने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बनाया है. इसके लिए तेज गति एवं व्यापक स्तर से युक्त एक एकीकृत एवं चुस्त-दुरुस्त संगठन की जरूरत है, ताकि वह इस जिम्मेदारी को पूरी एकाग्रता के साथ पूरा कर सके. इसके साथ ही वह विभिन्न चुनौतियों से निबटने में सक्षम हो सके.
  • रेलवे की मौजूदा आठ सेवाओं को मिलाकर एक केंद्रीय सेवा ‘भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा’ किया जायेगा
  • रेलवे बोर्ड की अध्यक्षता चेयरमैन रेलवे बोर्ड (सीआरबी) करेंगे, जो इसके सीइओ होंगे
  • मौजूदा सेवा ‘भारतीय रेलवे चिकित्सा सेवा’ का नाम बदलकर भारतीय रेलवे स्वास्थ्य सेवा होगा
आइआरएमएस के दायरे में होंगे सभी
यातायात, रोलिंग स्टॉक, ट्रैक्शन एंड इंजिनियरिंग के लिए सदस्यों की जगह नवगठित रेलवे बोर्ड में परिचालन, व्यवसाय विकास, मानव संसाधन, अवसंरचना और वित्त कार्यों के लिए सदस्य होंगे. इन्हें एक केंद्रीय सेवा भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आइआरएमएस) के दायरे में लाया जायेगा.
भारतीय रेलवे में होंगे दो विभाग
भारतीय रेलवे में दो विभाग रेलवे सुरक्षा बल और चिकित्स सेवा विभाग होंगे. रेलवे बोर्ड का नेतृत्व रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष (सीआरबी) करेंगे, जो सीइओ होंगे. इसके चार सदस्य एवं कुछ स्वतंत्र सदस्य होंगे. गौरतलब है कि भारतीय रेलवे पर बनी विवेक देबरॉय समिति ने 2015 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन की सिफारिश की थी.
बिबेक देबराय समेत चार समितियों ने रेलवे में सुधार की सिफारिश की थी
रेलवे में सुधार के लिए गठित विभिन्न समितियों ने सेवाओं को एक करने की सिफारिश की थी. इसके लिए 1994 में प्रकाश टंडन समिति, 2001 में राकेश मोहन समिति और 2012 में सैम पित्रोदा समिति और 2015 में बिबेक देबराय समिति ने इसकी सिफारिश की थी.
सात और आठ दिसंबर, 2019 को दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय ‘परिवर्तन संगोष्ठी’ में रेल अधिकारियों की आम सहमति और व्यापक समर्थन से यह सुधार किया गया है.
इस भावना की कद्र करने और रेल अधिकारियों के सुझावों को अहमियत दिये जाने को लेकर उनमें व्यापक भरोसा उत्पन्न करने के लिए रेलवे बोर्ड ने आठ दिसंबर, 2019 को ही सम्मेलन के दौरान बोर्ड की असाधारण बैठक आयोजित की थी और सुधारों की अनुशंसा की थी.

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