नयी दिल्ली: ग्लोबल कॉफी चेन कॉफी कैफे डे के मालिक और पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के दामाद वीजी सिद्धार्थ सोमवार शाम 6 बजे से लापता थे जिनका शव बरामद कर लिया गया है. उनके ड्राइवर ने उन्हें आखिरी बार मंगलुरू के पास नत्रावती नदी के पास छोड़ा था. उन्होंने ड्राइवर से कहा था कि ‘आगे बढ़ो मैं थोड़ा टहल के आता हूंं’. इस घटना के बाद से इस बात की उत्सुकता बढ़ जाती है कि वीजे सिद्धार्थ और उनके कैफे कॉफी डे की कहानी क्या है?
वीजी सिद्धार्थ का परिवार पिछले 130 सालों से चिकमंगलूर में कॉफी का उत्पादन करता आ रहा था. उनकी तीन पीढ़ियां इस काम में लगी थीं. 90 के दशक में इसी परिवार के अर्थशास्त्र में स्नातक सिद्धार्थ ने सोचा कि कॉफी की पारंपरिक खेती को सुव्यवस्थित व्यवसाय में बदलने का फैसला किया. सोच सही थी इसलिए परिवार ने भी साथ दिया.
1996 में बेंगलुरू से शुरू हुआ था कैफे कॉफी डे
साल 1996 में वीजी सिद्धार्थ ने पहली बार बेंगलुरू में कैफे कॉफी डे (सीसीडी) का पहला आउटलेट खोला. छोटे स्तर पर कॉफी शॉप का ये आइडिया काम कर गया. कुछ ही समय बाद इसका विस्तार होना शुरू हुआ और धीरे-धीरे देशभर में कैफे कॉफी डे ने 1750 स्टोर्स और 60 हजार वेंडिंग मशीन के साथ बड़ा चेन बना लिया. केवल देश में ही नहीं बल्कि श्रीलंका, ऑस्ट्रिया, मलेशिया, नेपाल और मिस्त्र में भी कैफे कॉफी डे के आउटलेट खोले गए. इस समय तक कॉफी शॉप के व्यवसाय में कैफे कॉफी डे अग्रणी बन गया और वीजी सिद्धार्थ को कॉफी किंग कहा जाने लगा.
कई नई कंपनियों से मिलने लगी कड़ी प्रतिस्पर्धा
कुछ समय बाद मार्केट में कुछ नई कंपनियां इस व्यवसाय में पदार्पण करने लगीं. कैफे कॉफी डे की सीधा मुकाबला टाटा ग्रुप की स्टारबक्स और अपेक्षाकृत छोटी चेंस बरिस्ता और कॉफी कोस्टा से होने लगा. एक तरफ कंपनी को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था वहीं साल 2017 में आयकर विभाग ने वीजी सिद्धार्थ से जुड़े 20 ठिकानों पर छापेमारी की. कंपनी को आर्थिक नुकसान तो हुआ ही साथ ही बाजार में छवि को भी नुकसान पहुंचा.
कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मशहूर सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी कोका-कोला कैफे कॉपी डे में हिस्सेदारी करना चाहती थी. इसको लेकर कंपनी ने कैफे कॉफी डे के मैनेंजमेंट से बातचीत भी की थी. हालांकि दोनों की तरफ से इसकी आधिकारिक पुष्टि कभी नहीं हुई.
कंपनी को लगातार होने लगा था घाटा
2019 में कंपनी को लाभ हुआ लेकिन इसके बाद कंपनी लगातार घाटे में जाने लगी. आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद कंपनी ने कुछ फैसले लिये लेकिन वो फेल रहे. गायब होने से पहले कंपनी के कर्मचारियों को लिखे खत में सिद्धार्थ ने इन सभी बातों का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि, ‘मैंने काफी कोशिश की लेकिन अब हार गया. मैंने कंपनी के लिये कुछ फैसले लिये लेकिन नाकामयाब रहा. मैं उन सभी लोगों से माफी मांगता हूं जिन्होंने मुझ पर भरोसा जताया था’.