नयी दिल्ली : कांग्रेस पार्टी पर ‘एक परिवार’ के अलावा किसी और के योगदान को महत्व नहीं देने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि इसके विपरीत वह ‘लकीर छोटी करने की बजाय अपनी लकीर लंबी करने में विश्वास करते हैं’.
उन्होंने लोकसभा चुनाव के नतीजों को जनता द्वारा सरकार की ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ नीति का अनुमोदन करार दिया. लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, कई दशकों बाद देश ने एक मजबूत जनादेश दिया है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार गरीबों के कल्याण के साथ देश को आधुनिक बनाने की दिशा में भी काम करती रहेगी.
कांग्रेस का नाम लिये बिना मोदी ने कहा कि सदन में कहा गया कि ‘हमारी ऊंचाई को कोई कम नहीं कर सकता..’ उन्होंने कहा, ‘हम दूसरे की लकीर छोटी करने में विश्वास नहीं करते, हम अपनी लकीर लंबी करने के लिए जिंदगी खपा देते हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा, आपकी ऊंचाई आपको मुबारक हो. आप इतने ऊंचे चले गए हैं कि जमीन दिखना बंद हो गयी है. आप इतने ऊंचे चले गए हैं कि आप जड़ों से उखड़ गए हैं. आप इतने ऊंचे चले गए हैं कि आपको जमीन के लोग तुच्छ लगने लगे हैं.
कांग्रेस पर प्रहार जारी रखते हुए उन्होंने कहा, आपका और भी ऊंचा होना मेरे लिए संतोष और आनंद की बात है. चर्चा के दौरान सोमवार को सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भले ही 52 सीटें मिली हो, लेकिन उसकी ऊंचाई कम नहीं हो सकती जैसे कोई व्यक्ति यदि दुबला-पतला हो जाए तब भी उसका कद कम नहीं होता.
विपक्ष विशेषकर कांग्रेस ने चर्चा के दौरान मोदी सरकार पर पिछली कांग्रेस नीत सरकारों की उपलब्धियों को पूरी तरह नकार देने का आरोप लगाया था. इन आरोपों पर मोदी ने कहा कि उनकी चुनौती है कि कोई भी ऐसा साक्ष्य दिखा दें कि 2004 से 2014 तक शासन में बैठे हुए लोगों ने कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी या नरसिंह राव सरकार की तारीफ की हो.
उन्होंने कांग्रेस का नाम लिये बिना कहा, इस सदन में बैठे हुए इन लोगों ने तो एक बार भी मनमोहन सिंह जी का जिक्र तक नहीं किया, अगर किया हो तो बताएं. उन्होंने राजग सरकार के कार्यकाल में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिये जाने का जिक्र किया.
मोदी ने कहा, हमे सुनाने का हक उन्हीं को है जिन्होंने किसी को स्वीकार किया हो. वरना इनके कार्यकाल में नरसिंह राव जी को भारत रत्न मिलता, मनमोहन सिंह जी को भारत रत्न मिलता, लेकिन ये परिवार से बाहर किसी के बारे में सोच ही नहीं सकते. पूर्व की सरकारों के योगदान को लेकर विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए मोदी ने कहा कि शायद वह पहले प्रधानमंत्री हैं जिसने लालकिले की प्राचीर से दो बार कहा कि आजादी के बाद जितनी सरकारें रहीं, उन सभी का देश में योगदान रहा है.
उन्होंने कहा कि बार-बार हमें यह सुनाया जाता है. बार-बार मत बोलिए. हम किसी के योगदान को नकारते नहीं हैं. हम सवा सौ करोड़ देशवासियों की बात करते हैं तो उसमें सभी आ जाते हैं. मोदी ने आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि आज 25 जून है और (1975 में) इस रात को देश की आत्मा को कुचल दिया गया था. देश के मीडिया को दबोच दिया गया था.
उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान देश के महापुरुषों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया था. पूरे देश को जेल बना दिया गया था. सिर्फ इसलिए क्योंकि किसी की सत्ता नहीं चली जाए. मोदी ने कहा कि इस दिन का बार बार स्मरण करते रहना इसलिए भी जरूरी है ताकि इस पाप के रास्ते पर चलने का कोई साहस भी नहीं कर सके.
उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया का मजाक उड़कार कुछ लोगों को भले ही रात को अच्छी नींद आ जाए लेकिन इससे देश का भला तो नहीं हो पाएगा. मेक इन इंडिया का आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है. हमारा सपना नया भारत बनाना है जिसके लिए मेक इन इंडिया जरूरी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण में इस बात का एक खाका खींचने का प्रयास किया गया है कि हम भारत को कहां ले जाना चाहते हैं, कैसे ले जाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि एक सुरक्षित, सशक्त, समृद्ध, समावेशी राष्ट्र का सपना हमारे देश के अनेक महापुरुषों ने देखा है. उसे पूरा करने के लिए संकल्पबद्ध होकर, अधिक गति, अधिक तीव्रता के साथ हम सबको मिलजुलकर आगे बढ़ना, समय की मांग और देश की अपेक्षा है.
करीब एक घंटे के भाषण में मोदी ने कहा कि आज के वैश्विक वातावरण में यह अवसर हमें खोना नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1951 में कहा था कि कर्तव्यों को पहले स्वीकार करें तो अधिकार अपने आप मिलेंगे.
चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान के संदर्भ में मोदी ने कहा कि हमें इसलिए कोसा जा रहा है कि हमने अमुक अमुक व्यक्ति को जेल में क्यों नहीं डाला? उन्होंने कहा, ये इमरजेंसी नहीं है कि किसी को भी जेल में डाल दिया जाए, ये लोकतंत्र है. ये काम न्यायपालिका का है. हम कानून से चलने वाले लोग हैं और किसी को जमानत मिलती है तो वो इंजॉय (आनंद उठाये) करे. हम बदले की भावना से काम नहीं करेंगे.
प्रधानमंत्री के जवाब के बाद सदन ने राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया. साथ ही विपक्ष द्वारा इस प्रस्ताव पर लाये गये सभी प्रस्तावों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया.