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अमरोहा में नहीं रहा किसी एक दल का दबदबा, कोई भी बन सकता है खास, किसी सांसद ने नहीं बनायी हैट्रिक

यूपी : पूर्वोत्तर की आम और ढोलक के लिए मशहूर अमरोहा में इस बार कौन खास होगा और किसका ढोल फटेगा, कह पाना मुश्किल है. गंगा-जमुनी तहजीब वाला अमरोहा कभी किसी दल विशेष का गढ़ नहीं रहा. 1957 में लोकसभा क्षेत्र बनने से अब तक हुए पंद्रह लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने करीब-करीब हर दल […]

यूपी : पूर्वोत्तर की
आम और ढोलक के लिए मशहूर अमरोहा में इस बार कौन खास होगा और किसका ढोल फटेगा, कह पाना मुश्किल है. गंगा-जमुनी तहजीब वाला अमरोहा कभी किसी दल विशेष का गढ़ नहीं रहा. 1957 में लोकसभा क्षेत्र बनने से अब तक हुए पंद्रह लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने करीब-करीब हर दल को मौका दिया है. सबसे अधिक तीन-तीन बार कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार इस लोकसभा सीट से विजयी रहे हैं..
अमरोहा : अमरोहा उत्तर प्रदेश की एक ऐसी लोकसभा सीट रही है, जहां किसी एक दल का दबदबा कभी नहीं रहा. पिछली बार इस सीट से भाजपा चुनाव जीती थी. सपा यहां दूसरे और बसपा तीसरे स्थान पर रही थी.
इस बार सपा-बसपा एक साथ है. लिहाजा भाजपा के लिए बड़ा दबाव बनाने में दोनों जुटे है. इस बार मुख्य मुकाबला वर्तमान सांसद कंवर सिंह तंवर और जनता दल (एस) से बसपा में आये गठबंधन प्रत्याशी दानिश अली के बीच माना जा रहा है. कांग्रेस के सचिन चौधरी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जी-जान से जुटे हैं.
यहां गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में जातिगत समीकरण है, तो भाजपा प्रत्याशी पीएम मोदी के नाम और अपने काम पर वोट मांग रहे हैं. दोनों प्रत्याशी खुद के वोट बैंक को सुरक्षित कर एक दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी में लगे है. इस सीट पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (सेकुलर) के मतलूब अहमद समेत कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं. 1957 में अमरोहा लोस सीट बनने पर कांग्रेस के हिफ्जुर्रहमान पहले सांसद बने.
दूसरी बार सांसद बने हिफ्जुर्रहमान के निधन के बाद 1963 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री हाफिज मोहम्मद इब्राहिम को हरा कर निर्दलीय प्रत्याशी आचार्य कृपलानी लोकसभा पहुंचे. पूरे विपक्ष ने आचार्य कृपलानी का समर्थन किया था. प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान दो बार सांसद रहे चुके हैं. 2014 में कंवर सिंह तंवर 1.58 लाख मतों से चुनाव जीते थे.
इस सीट से जुड़े कुछ खास तथ्य
वर्ष 1957 में हुए देश के दूसरे आम चुनाव में अमरोहा लोकसभा सीट बनी. इससे पहले अमरोहा क्षेत्र मुरादाबाद वेस्ट लोकसभा में आता था.
अमरोहा लोकसभा में छह दशक में वोटरों की संख्या 16,43,224 हो गई है. वर्ष 1952 में हुए चुनाव में अमरोहा लोकसभा में मतदाताओं की संख्या 3,96,101 थी.
1957 से 2019 तक अमरोहा लोकसभा से 233 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतर चुके हैं. इसमें सिर्फ 6 महिला प्रत्याशी रहीं है.
अमरोहा लोकसभा सीट पर 1957 में हुए पहले चुनाव में कुल चार उम्मीदवार मैदान में थे.
कांग्रेस के हिफ्जुर्रहमान अमरोहा के पहले सांसद बने
छह दशक में सात गुना बढ़ा विजयी प्रत्याशी का मत. वर्ष 1957 में विजयी कांग्रेस उम्मीदवार को मिले थे 74,220 वोट. 5,28,880 मत मिले 2014 में वर्तमान सांसद कंवर सिंह तंवर को.
यहां से तीन-तीन बार कांग्रेस और भाजपा जीती है.
चौधरी चंद्रपाल सिंह सबसे अधिक मत प्रतिशत पाने वाले सांसद रहे. 1977 में 59.44% मत से वह सांसद बने थे.
अब तक के सांसद
1957 हिफ्जुर्रहमान कांग्रेस
1962 हिफ्जुर्रहमान कांग्रेस
1963 जेबी कृपलानी निर्दलीय
1967 इशहाक संभली सीपीआइ
1971 इशहाक संभली सीपीआइ
1977 चंद्रपाल सिंह भालोद
1980 चंद्रपाल सिंह जनता पार्टी
1984 रामपाल रसंह कांग्रेस
1989 चौधरी हरगोविंद जनता दल
1991 चेतन चौहान भाजपा
1996 प्रताप सिंह सपा
1998 चेतन चौहान भाजपा
1999 राशिद अल्वी बसपा
2004 हरीश नागपाल निर्दलीय
2009 देवेंद्र नागपाल रालोद
2014 कंवर सिंह तंवर भाजपा
सीट का जातीय समीकरण
कुल मतदाता 16,43,224
लाख मुस्लिम5.70 लाख
जाट 1.25 लाख
सैनी 1.25 लाख
गुज्चर 70 हजार
प्रजापति 55 हजार
एसएसी 2.75 लाख
यादव 30 हजार
ब्राह्मण, त्यागी 40,000
पाल, कश्यप व अन्य 1.25 लाख
Prabhat Khabar Digital Desk
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