12.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

अयोध्या में पूजा की अनुमति मांगने पर SC की बड़ी टिप्पणी, देश को कभी शांति से नहीं रहने देंगे

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल से लगी अविवादित जमीन पर मौजूद नौ प्राचीन मंदिरों में पूजापाठ की इजाजत की मांग करने वाली एक याचिका खाारिज करते हुए शुक्रवार को कहा, आप इस देश को कभी शांति से नहीं रहने देंगे. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल से लगी अविवादित जमीन पर मौजूद नौ प्राचीन मंदिरों में पूजापाठ की इजाजत की मांग करने वाली एक याचिका खाारिज करते हुए शुक्रवार को कहा, आप इस देश को कभी शांति से नहीं रहने देंगे.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, वहां हमेशा ही कुछ होगा. शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के 10 जनवरी के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करने के दौरान यह कहा. दरअसल, उच्च न्यायालय ने वहां नौ मंदिरों में पूजा-अर्चना करने के लिए उसकी सहमति मांगने वाली एक याचिका खारिज कर दी थी और याचिकाकर्ता को खर्च के तौर पर पांच लाख रुपये भी भरने का निर्देश दिया था.

शीर्ष न्यायालय ने अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पंडित अमरनाथ मिश्रा को इस मुद्दे पर कुरेदना बंद करना चाहिए. सामाजिक कार्यकर्ता मिश्रा ने उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया था कि अधिकारी प्राचीन मंदिरों में धार्मिक गतिविधियां शुरू किये जाने के प्रति आंखें मूंदे हुए हैं. ये मंदिर अयोध्या में कब्जे में लिये गये, लेकिन अविवादित भूमि पर हैं. उल्लेखनीय है कि शीर्ष न्यायालय ने इस भूमि विवाद के हल के लिए हाल ही में मध्यस्थों का एक पैनल नियुक्त किया था. पैनल के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों की एक समिति गठित की है जो इसकी निगरानी कर रही है. समिति के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला हैं और इसमें आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था. इससे पहले 9 अप्रैल को रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में एक और याचिका दाखिल की गयी थी. निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में नयी याचिका दाखिल की थी और इस याचिका में केंद्र सरकार की अयोध्या में अधिग्रहीत की गयी अतिरिक्त जमीन को वापस देने की अर्जी का विरोध किया गया था.

अखाड़ा ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को पहले भूमि विवाद का फैसला करना चाहिए. केंद्र के जमीन अधिग्रहण करने से अखाड़ा द्वारा संचालित कई मंदिर नष्ट हो गये. ऐसे में केंद्र को जमीन किसी को भी वापस करने के लिए नहीं दी जा सकती. अखाड़ा ने यह भी कहा था कि रामजन्मभूमि न्यास को अयोध्या में बहुमत की जमीन नहीं दी जा सकती. अखाड़ा ने ये याचिका केंद्र सरकार की जनवरी की याचिका पर दाखिल की थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट से मांग की गयी थी कि वो विवादित भूमि के अलावा अधिग्रहीत की गयी जमीन को वापस लौटाना चाहता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel