नयी दिल्ली :एम्स के फोरेंसिक विभाग के प्रमुखडॉसुधीरगुप्ता ने गुरुवार को कहा, मैं अपने बयान पर कायम हूं. सुनंदा पुष्कर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छेड़छाड़ के लिए उन पर दबाव डाला गया था. एम्स द्वारा उनके दावे को खारिज किये जाने के बारे में पूछने पर गुप्ता ने कहा, वे कैसे जानते हैं कि मुझ पर कोई दबाव नहीं था? वे इस बात को स्पष्ट करनेवाले कौन होते हैं.
एम्स के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख आज अपने उस विवादित बयान पर कायम रहे जिसमें उन्होंने कहा था कि शशि थरुर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छेडछाड के लिए उनपर दबाव डाला गया था.प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान एम्स द्वारा इस दावे को खारिज किए जाने के एक दिन बाद डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने कहा, ‘‘मैंने जो कहा, मैं उस पर कायम हूं.’’
जब एम्स द्वारा उनके बयान को खारिज करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘वे कैसे जानते हैं कि मुझपर कोई दबाव नहीं था? वे इस बात को स्पष्ट करने वाले कौन होते हैं कि मुझपर कोई दबाव नहीं था? संवाददाता सम्मेलन बुलाने की जल्दी क्या थी?’’ गुप्ता ने प्रेस ट्रस्ट को बताया, ‘‘सिर्फ सुनंदा पुष्कर के पोस्टमार्टम में ही नहीं, बल्कि बहुत से अन्य मामलों में मैंने चिकित्सा के सिद्धांतों और अभ्यास एवं इसके नैतिक मूल्यों और कानूनी प्रावधानों के अनुसार पोस्टमार्टम रिपोटरें को अंतिम रुप दिया. मैं कभी भी जीवन में दबाव के आगे झुका नहीं.’’ उन्होंने कहा कि उनकी सभी रिपोर्टें वास्तविक थीं.
इस साल जनवरी में होटल में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गई सुनंदा पुष्कर के शव का पोस्टमार्टम करने वाले तीन सदस्यीय दल के प्रमुख गुप्ता के आरोप को खारिज करते हुए एम्स ने कहा था कि इस बात का कोई भी सबूत नहीं है कि शव परीक्षण रिपोर्ट को बदलने के लिए उनपर (सुधीर गुप्ता पर) कोई बाहरी दबाव था. 52 वर्षीय सुनंदा 17 जनवरी की रात को दक्षिण दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में मृत पाई गई थीं. इससे पहले थरुर के साथ पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के कथित संबंधों के चलते उनकी तरार के साथ टिवट्र पर तकरार हुई थी.
शवपरीक्षण की रिपोर्ट में सुनंदा के दोनों हाथों पर एक दर्जन से भी ज्यादा चोट के निशानों और गाल पर रगड की बात कही गई थी, जो ‘किसी भोथरी वस्तु’ के उपयोग की ओर इशारा करती है. इसके अलावा उनकी बाईं हथेली पर ‘दांत से काटने का गहरा निशान’ था. एम्स में शवपरीक्षण के बाद उनके विसरा नमूनों को सुरक्षित रख लिया गया था और इन्हें आगे के परीक्षण के लिए सीएफएसएल के पास भेज दिया गया था. पुलिस के अनुसार, सीएफएसएल रिपोर्ट में दवा विषाक्तता :ड्रग पॉयजनिंग: के संकेत दिए गए थे लेकिन ये नतीजे उतने निर्णायक नहीं थे कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा सके.