नयी दिल्ली : एक अहम घटनाक्रम में संयुक्त राष्ट्र ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद की वह अपील खारिज कर दी है जिसमें उसने प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची से अपना नाम हटाने की गुहार लगायी थी. सरकारी सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी.
गौरतलब है कि यह फैसला ऐसे समय में आया है जब संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति को जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर पाबंदी लगाने का एक नया अनुरोध प्राप्त हुआ है. बीते 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन हमले में बल के 40 जवानों की शहादत के बाद संयुक्त राष्ट्र की समिति से अजहर पर पाबंदी लगाने की मांग की गयी है. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. सूत्रों ने बताया कि सईद जोकि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का भी सह-संस्थापक है, की अपील संयुक्त राष्ट्र ने तब खारिज की जब भारत ने उसकी गतिविधियों के बारे में विस्तृत साक्ष्य मुहैया कराये. साक्ष्यों में अत्यंत गोपनीय सूचनाएं भी शामिल थीं.
उन्होंने कहा कि इस हफ्ते की शुरुआत में सईद के वकील हैदर रसूल मिर्जा को वैश्विक संस्था के इस फैसले से अवगत करा दिया गया. संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित जमात-उद-दावा के मुखिया सईद पर 10 दिसंबर 2008 को पाबंदी लगायी थी. मुंबई हमलों के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उसे प्रतिबंधित किया था. मुंबई हमलों में 166 लोग मारे गये थे. सईद ने 2017 में लाहौर स्थित कानूनी फर्म ‘मिर्जा एंड मिर्जा’ के जरिये संयुक्त राष्ट्र में एक अपील दाखिल कर पाबंदी खत्म करने की गुहार लगायी थी. अपील दाखिल करते वक्त वह पाकिस्तान में नजरबंद था. सूत्रों ने बताया कि स्वतंत्र लोकपाल डेनियल किपफर फासियाटी ने सईद के वकील को सूचित किया है कि उसके अनुरोध के परीक्षण के बाद यह फैसला किया गया है कि वह सूचीबद्ध व्यक्ति के तौर पर बरकरार रहेगा. संयुक्त राष्ट्र ने ऐसे सभी अनुरोधों के परीक्षण के लिए डेनियल की नियुक्ति की है.
उन्होंने बताया कि लोकपाल ने सिफारिश की कि सारी सूचनाएं इकट्ठा करने के बाद यह तय किया गया है कि पाबंदी जारी रहेगी, क्योंकि (प्रतिबंध) सूची में बनाये रखने के लिए एक तार्किक एवं विश्वसनीय आधार प्रदान करने के लिए पर्याप्त सूचनाएं हैं. संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति ने लोकपाल की सिफारिश का समर्थन किया है. 1267 समिति द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने पर इसके तीन प्रमुख परिणाम होते हैं. इसके तहत संपत्ति के इस्तेमाल पर रोक लगा दी जाती है, यात्रा प्रतिबंध लागू कर दिया जाता है और हथियारों की खरीद पर पाबंदी लगा दी जाती है. संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिए इन पर अमल करना बाध्यकारी होता है. समिति इन प्रतिबंध उपायों पर अमल की निगरानी करती है. वह प्रतिबंध सूची में किसी का नाम डालने या किसी का नाम हटाने पर भी विचार करती है.
सूत्रों ने बताया कि भारत के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे उन देशों ने भी सईद के अनुरोध का विरोध किया जिन्होंने मूल रूप से उसे प्रतिबंध सूची में डाला था. पाकिस्तान ने सईद की अपील का कोई विरोध नहीं किया, जबकि पड़ोसी देश में इमरान खान की अगुवाईवाली नयी सरकार दावा करती है कि वह नया पाकिस्तान में प्रतिबंधित आतंकवादियों और उनके संगठनों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. पिछले महीने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख अजहर को प्रतिबंधित घोषित कराने की नये सिरे से कोशिश की थी. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने खुद कबूल किया है कि अजहर पाकिस्तान में रह रहा है. जैश पहले से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है. सईद की अपील पर फैसले में देरी के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि यह देरी इसलिए हुई क्योंकि समयावधि पूरी होने से पहले ही लोकपाल बदल गया था और फिर नये लोकपाल की नियुक्ति में थोड़ी देर हुई.
आमतौर पर संयुक्त राष्ट्र में कोई भी अपील पंजीकृत होने के बाद छह महीने में इस पर फैसला हो जाता है. 1267 समिति के नियमों के तहत संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को प्रतिबंधित व्यक्तियों एवं संगठनों के कोष और अन्य वित्तीय संपत्तियों एवं उनके आर्थिक संसाधनों के इस्तेमाल पर तुरंत रोक लगानी होती है. वे प्रतिबंधित व्यक्ति को अपनी सीमा में प्रवेश या उधर से गुजरने की भी अनुमति नहीं दे सकते.