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#Surgicalstrike2 से पहले भी भारत ने कई बार दिया है पाक को मुंहतोड़ जवाब, जानें क्या था ऑपरेशन ब्रास्टैक्स…

भारतीय वायुसेना ने आज सुबह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जैश ए मोहम्मद के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया और आतंकवादियों के कई कैंपों को ध्वस्त कर दिया. इस हमले में पाक अधिकृत कश्मीर में 200 से 300 आतंकी मारे गये हैं. भारतीय सेना ने लगभग 21 मिनट बमबारी की है. बताया जा रहा है कि […]

भारतीय वायुसेना ने आज सुबह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जैश ए मोहम्मद के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया और आतंकवादियों के कई कैंपों को ध्वस्त कर दिया. इस हमले में पाक अधिकृत कश्मीर में 200 से 300 आतंकी मारे गये हैं. भारतीय सेना ने लगभग 21 मिनट बमबारी की है. बताया जा रहा है कि 1971 के बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पहली बार वायुसेना ने एलओसी को क्रॉस किया है. भारतीय सेना ने हमेशा पाकिस्तान को उसकी नापाक हरकतों का जवाब दिया है.#Surgicalstrike2 से पहले 29 सितंबर 2016 को भी भारत ने उरी हमले के बाद पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया था. यह थलसेना की कार्रवाई थी. आइए जानें 1971 के बाद कब-कब भारत ने पाकिस्तान को दिया है मुंह तोड़ जवाब:-

ऑपरेशन ब्रास्टैक्स : 1986 में भारत के राजस्थान प्रांत में पाकिस्तान से लगे सीमा पर युद्ध जैसी स्थिति बन गयी थी, उस वक्त भारत के प्रधानमंत्री थे राजीव गांधी. जनरल कृष्ण स्वामी सुंदर जी ने इस अॉपरेशन की प्लानिंग की थी. टारगेट था दक्षिणी पाकिस्तान. कोरंगी क्रीक के पास नौसेना ने भी बड़ी संख्या में अपनी टुकड़ियों को तैनात कर लिया था. पाकिस्तान ने भी अपनी तरफ तैयारी की, युद्ध जैसे हालात थे. ऑपरेशन का पैमाना किसी भी नाटो अभ्यास और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी भूमि अभ्यास से बड़ा था. शुरुआत में, लगभग 600,000-800,000 सैनिक जुटे थे और राजस्थान राज्य की पश्चिमी सीमा में तैनात थे, जो पाकिस्तान से लगभग 100 से कम दूरी पर था. भारतीय सेना के पश्चिमी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी.एन. हून ने कहा कि, "ऑपरेशन ब्रास्टैक्स भारत की पूरी सेना का एक जुटान था."

ऑपरेशन मेघदूत : भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जे के लिए ऑपरेशन मेघदूत किया था. यह ऑपरेशन 13 अप्रैल 1984 को शुरू हुआ था. यह ऑपरेशन अनोखा था क्योंकि दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित युद्धक्षेत्र में पहली बार हमला शुरू किया गया था. सेना की कार्रवाई के परिणामस्वरूप भारतीय सेना ने पूरे सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण प्राप्त कर किया था. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद जब शिमला समझौता हुआ तो सियाचिन के एनजे-9842 नामक स्थान पर युद्ध विराम की सीमा तय हो गयी. इस बिंदु के आगे के हिस्से के बारे में कुछ नहीं कहा गया. कुछ समय बाद पाकिस्तान ने वहां गतिविधि बढ़ा दी तब भारत ने 1985 में ऑपरेशन मेघदूत के ज़रिए एनजे-9842 के उत्तरी हिस्से पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया.

कारगिल वार : 1999 में भी पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा का उल्लंघन कर भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के कारगिल जिले में घुसपैठ की थी. उस वक्त भी भारत ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को देश से निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी. लगभग 30,000 भारतीय सैनिक और करीब 5,000 घुसपैठिए इस युद्ध में शामिल थे. परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था.

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