नयी दिल्ली: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले की सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति यू यू ललित ने गुरुवार को खुद को सुनवाई से अलग कर लिया जिसके बाद मामले ने नाटकीय मोड़ ले लिया है. ललित के ऊपर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने यह सवाल उठाया कि जब जस्टिस ललित राम मंदिर मामले में वकील के तौर पर पेश हो चुके हैं तो वो संविधान बेंच पर कैसे हो सकते हैं.
वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि न्यायमूर्ति ललित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पैरवी करने के लिए 1994 में अदालत में पेश हुए थे. हालांकि धवन ने कहा कि वह न्यायमूर्ति ललित के मामले की सुनवाई से अलग होने की मांग नहीं कर रहे, लेकिन न्यायाधीश ने स्वयं को मामले की सुनवाई से अलग करने का फैसला किया.
दरअसल, जैसे की कोर्ट में जज बैठे तो मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने कहा कि वो पहले कुछ कहना चाहते हैं. बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गगोई ने कहा कि आज सुनवाई नहीं होगी बल्कि इस केस को लेकर तारीख तय करने का काम किया जाएगा. इसके बाद धवन को बोलने का अवसर कोर्ट ने प्रदान किया. इसके बाद उन्होंने जस्टिस यूयू ललित पर सवाल उठाये. राजीव धवन ने कहा कि 1994 के करीब जस्टिस यूयू ललित कल्याण सिंह के लिए पेश हुए हैं. हमें उनकी सुनवाई पर एतराज़ नहीं, वो खुद तय करें.

