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42 साल बाद वापस लौटा जमील कहा, अनाथालय के लिए कुछ करना चाहता हूं. पढ़ें पूरी कहानी

मुंबई : जमील उस वक्त महज छह साल के थे जब 1976 में उसे एक डच दंपति ने मुंबई के अनाथालय से गोद लिया था. अब 42 साल बाद वह शहर में डोंगरी बाल गृह को ‘‘कुछ वापस लौटाना’ चाहते हैं जहां उन्होंने अपने बचपन के दो साल गुजारे थे. जमील मीयूसेन अब नीदरलैंड के […]

मुंबई : जमील उस वक्त महज छह साल के थे जब 1976 में उसे एक डच दंपति ने मुंबई के अनाथालय से गोद लिया था. अब 42 साल बाद वह शहर में डोंगरी बाल गृह को ‘‘कुछ वापस लौटाना’ चाहते हैं जहां उन्होंने अपने बचपन के दो साल गुजारे थे. जमील मीयूसेन अब नीदरलैंड के एक नगरपालिका में मुख्य पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात हैं.

यह पद भारत में पुलिस आयुक्त के बराबर है . अनाथ और मुसीबत में फंसे बच्चों के लिए बने डोंगरी बाल गृह से अंधेरी उपनगर में अनाथालय सेंट कैथरीन्स होम भेजे जाने के बाद जमील को एक डच दंपति ने गोद ले लिया और वे उसे नीदरलैंड ले गए. जमील ने कहा, ‘‘मेरे डच माता-पिता ने मुझे इस तरह पाला-पोसा जैसे मैं उनका ही बच्चा हूं. उन्होंने मुझे सभी मौके और प्यार दिया जो मुझे मिल सकता था और मैं यह सब पाकर बहुत सौभाग्यशाली महसूस करता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा घर है. यहां पर खूबसूरत चीजें हैं जो मुझे आकर्षित करती हैं, जिससे मैं बार-बार यहां आता हूं. इस गृह को लेकर मेरी कई यादें हैं. सामने लगा गेट मेरे जहन में तब भी याद आता था जब मैं नीदरलैंड था. साल 1986 में जब मैं वापस आया तब भी मैंने इस गेट को पाया.’ वह साल 1986 में पहली बार मुंबई लौटे थे जब वह 16 साल के थे. साल 2013 से लेकर अब तक वह तीन से चार बार डोंगरी बाल गृह और सेंट कैथरीन्स होम आए हैं. उन्होंने कहा कि वह इनके लिए कुछ करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बार अपने दोस्तों के साथ कुछ महत्वपूर्ण लोगों से मिला ताकि इनमें रहने वाले बच्चों को कुछ मदद मिल सके.
मैं बाहर लोगों से कह सकता हूं, खासतौर से बड़ी कंपनियों को, कि आपके पास काफी पैसा है कृपया मदद करें.’ यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने अपने जैविक माता-पिता को ढूंढने की कोशिश की, इस पर उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने गुजरे वक्त के बारे में पता करने की कोशिश की. मैंने सुना कि मैं डोंगरी इलाके से आया था. मैं पहली बार साल 2013 में डोंगरी बाल गृह गया था. मैंने अपने दस्तावेज मांगे थे लेकिन उनके पास कोई दस्तावेज नहीं था.’

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