नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय 30 वर्ष पुराने रोड रेज मामले में पंजाब के पर्यटन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को सुनायी गयी सजा पर फिर से विचार करने पर सहमत हो गया है. इसे सिद्धू के लिए एक झटका माना जा रहा है.
शीर्ष न्यायालय ने 15 मई को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया गया था और उन्हें तीन वर्ष जेल की सजा सुनायी गयी थी. हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने उन्हें एक वरिष्ठ नागरिक को चोट पहुंचाने के मामूली अपराध का दोषी पाया था. उच्चतम न्यायालय ने हालांकि उन पर आईपीसी की धारा 323 के तहत एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की एक पीठ मृतक के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर एक पुनर्विचार याचिका पर गौर करने पर सहमत हो गयी और मामले में सिद्धू को नोटिस जारी किया.
उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर बुधवार को अपलोड किये गये आदेश में पीठ ने कहा, नवजोत सिंह सिद्धू को इस मामले में नोटिस जारी किया जाता है. न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति कौल की एक पीठ ने 15 मई को सिद्धू के सहयोगी और सह-आरोपी रूपिंदर सिंह संधू को सभी आरोपों से बरी कर दिया था. आईपीसी की धारा 323 के तहत अधिकतम एक वर्ष जेल की सजा या एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया या दोनों लगाया जा सकता है. उच्चतम न्यायालय ने हालांकि सिद्धू और संधू की अपीलों को स्वीकार करते हुए कहा था कि चिकित्सा साक्ष्य पीड़ित गुरनाम सिंह की मौत के कारण के बारे में बिल्कुल अनिश्चित थे.