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72 सालों से बंद करतारपुर बॉर्डर खोलेगा पाक, बनेगा कॉरिडोर

नेशनल कंटेंट सेल श्री गुरु नानक जी की 550वीं जयंती पर पाकिस्तान ने करतारपुर बॉर्डर खोलने का एलान करके सिखों को एक बहुत बड़ा तोहफा दिया है. इतना ही नहीं, सीमा पर करतारपुर साहिब तक पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बनाने की भी बात की जा रही है. हालांकि, पाकिस्तान में सिखों के […]

नेशनल कंटेंट सेल

श्री गुरु नानक जी की 550वीं जयंती पर पाकिस्तान ने करतारपुर बॉर्डर खोलने का एलान करके सिखों को एक बहुत बड़ा तोहफा दिया है. इतना ही नहीं, सीमा पर करतारपुर साहिब तक पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बनाने की भी बात की जा रही है.

हालांकि, पाकिस्तान में सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल करतारपुर साहिब तक कॉरिडोर बनाने की खबर पर वहां के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा है कि अभी उन्हें करतारपुर कॉरिडोर के बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिर भी, भारतीय सिखों में उत्साह का माहौल है. इसका श्रेय पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू को दिया जा रहा है, जिनकी पाकिस्तानी के आर्मी चीफ कमर बाजवा के साथ मुलाकात ने एक झप्पी में ही 72 साल से चल रहा विवाद सुलझा दिया.

नवजोत सिद्धू, इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में गये थे. वहां से लौटने के बाद सिद्धू ने बॉर्डर पर जाकर अरदास की और दूरबीर से करतारपुर साहिब के दर्शन किये. नतीजा, पाकिस्तान ने बॉर्डर का रास्ता खोलने की घोषणा कर दी. रावी नदी के किनारे श्री गुरु नानक देव जी की याद में बना गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के रास्ते का मुद्दा स्वतंत्रता के बाद कई बार चर्चा का विषय बना. सात दशक तक दोनों देशों की सरकारें यह रास्ता न खुलवा सकीं. यूएनओ भी इस मामले में सिखों को कोई बड़ी राहत दिला सका.
दूरबीन से दर्शन करती है संगत
भारत-पाक सरहद पर डेरा बाबा नानक से करीब एक किमी की दूरी पर कांटेदार तार से इस गुरुद्वारा साहिब की सीधी दूरी करीब तीन किमी है. कुछ वर्ष पहले सिख संगत की मांग पर भारत सरकार ने बीएसएफ की सहमति से इस गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने की इच्छुक संगत को कांटेदार तार तक जाने की अनुमति दी थी, जहां बाकायदा एक ऊंचा दर्शनीय स्थल बना कर वहां से दूरबीन से संगत को गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करवाये जाते हैं.
अपना अंतिम समय करतारपुर साहिब में बिताया था श्री गुरु नानक देव जी ने
श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी जिंदगी का अंतिम समय करतारपुर साहिब में बिताया था. वहां उन्होंने 17 वर्ष पांच माह नौ दिन तक अपने हाथों से खेती की. इसी स्थान से उन्होंने समूची मानवता को काम करने तथा बांट कर खाने जैसे उपदेश दिये थे. इसी पवित्र स्थान पर 22 सितंबर, 1539 को उन्होंने आखिरी सांस ली थी. इस स्थान से करीब तीन किमी दूर भारत में डेरा बाबा नानक शहर भी गुरु नानक देव साहिब की याद में बनवाया गया है. महाराजा पटियाला भूपिंदर सिंह ने गुरुद्वारा साहिब की मौजूदा इमारत का निर्माण करवाया था, जिसकी 1995 में पाकिस्तान की सरकार ने मरम्मत करवायी थी. 2004 में फिर इस का नवीनीकरण किया गया था.
212वीं अरदास नवजोत सिंह सिद्धू ने की
सरकारी व राजनीतिक स्तर पर इस रास्ते को खुलवाने के प्रयासों के अलावा पिछले वर्ष शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने भी केंद्र सरकार को प्रस्ताव पास करके इस रास्ते को खुलवाने की मांग की थी. 13 अप्रैल, 2001 से भाई कुलदीप सिंह वडाला के नेतृत्व में करतारपुर रावी दर्शन अभिलाषी संस्था ने हर अमावस्या वाले दिन डेरा बाबा नानक के निकट सरहद पर जा कर इस रास्ते को खुलवाने के लिए अरदास करने का सिलसिला शुरू किया था. 18 वर्षों के दौरान वह अब तक 211 बार अरदास कर चुके हैं और 212वीं अरदास नवजोत सिद्धू ने की.

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