नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यवस्था में अनुशासन के महत्व को प्राथमिक बताते हुए कहा है कि इन दिनों अनुशासन को ‘निरंकुशता’ करार दिया जाता है. मोदी ने रविवार को उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू की पुस्तक ‘मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड’ के विमोचन समारोह में उपराष्ट्रपति की अनुशासनप्रिय कार्यशैली का जिक्र करते हुए कहा कि दायित्वों की पूर्ति में सफलता के लिए नियमबद्ध कार्यप्रणाली अनिवार्य है.
व्यवस्था और व्यक्ति, दोनों के लिए यह गुण लाभप्रद होता है. नायडू ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में एक वर्ष के अपने कार्यकाल के अनुभवों का सचित्र संकलन ‘कॉफी टेबल बुक’ के रूप में किया है. पुस्तक का विमोचन करने के बाद मोदी ने कहा ‘वैंकेयाजी अनुशासन के प्रति बहुत आग्रही हैं और हमारे देश की स्थिति ऐसी है कि अनुशासन को अलोकतांत्रिक कह देना आजकल सरल हो गया है.’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अगर कोई अनुशासन का जरा सा भी आग्रह करें तो उसे निरंकुश बता दिया जाता है. लोग इसे कुछ नाम देने के लिए शब्दकोष खोलकर बैठ जाते हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि वैंकेयाजी की यह पुस्तक बतौर उपराष्ट्रपति उनके अनुभवों का संकलन तो है ही, साथ में इसके माध्यम से उन्होंने इसके माध्यम से एक साल में किये गये अपने काम का हिसाब देश के समक्ष प्रस्तुत किया है.
उन्होंने कहा कि नायडू ने उपराष्ट्रपति की संस्था को नया रूप देने का खाका भी इस पुस्तक में खींचा है. जिसकी झलक इसमें साफ दिखती है. उल्लेखनीय है कि नायडू ने 245 पृष्ठ की इस पुस्तक में पिछले एक साल के अपने अनुभवों को साझा किया है. इसमें 465 तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने पिछले एक साल में देश के 27 राज्यों की यात्रा, विभिन्न शिक्षण संस्थानों के दौरे, विभिन्न सम्मेलन और समारोहों से जुड़े अपने अनुभव पेश किये हैं. मोदी ने नायडू को स्वभाव से किसान बताते हुए कहा कि उनके चिंतन में हमेशा देश के गांव, किसान और कृषि की बात समाहित होती है. उन्होंने कहा कि इसका सटीक उदाहरण नायडू द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के गठन के समय अपने लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय देने की इच्छा व्यक्त करना था.
मोदी ने कहा, ‘यद्यपि अटलजी वैंकेया जी की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें कोई अन्य अहम मंत्रालय देना चाहते थे, लेकिन इसकी भनक लगने पर वैंकेयाजी ने खुद अटल जी के पास जाकर अपने दिल की इच्छा व्यक्त कर दी.’ उन्होंने कहा कि गांवों को शहरों से जोड़नेवाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के सूत्रपात का श्रेय वैंकेया जी को जाता है. इस दौरान नायडू ने भी कृषि को सतत विकास की प्रक्रिया से जोड़ने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि मौजूदा सरकार इस दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है. नायडू ने महात्मा गांधी के ‘गांव की ओर लौटने’ के आह्वान का जिक्र करते हुए कहा कि ग्रामीण अंचल की मजबूती के बिना भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत अधूरी है.
नायडू ने भारतीय दर्शन में वसुधैव कुटुंबकम को आधार सूत्र बताते हुए कहा कि समाज में धर्म, जाति या किसी भी आधार पर भेदभाव स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने देश की विकासयात्रा में महिलाओं, दलितों और पिछड़े वर्ग के समुदायों सहित सभी वर्गों की भूमिका को बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया. इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी नायडू को विलक्षण प्रतिभा का धनी बताते हुए कहा कि उनकी यह पुस्तक सही मायने में देश और समाज के प्रति उनकी सोच का आइना है. इसलिए वह इसे कॉफी टेबल बुक के बजाय ‘सोच टेबल बुल’ कहना पसंद करेंगी. इस मौके पर वित्त मंत्री अरुण जेटली, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एचडी देवगौड़ा और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा भी मौजूद थे.