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राष्‍ट्र के नाम संबोधन में राष्‍ट्रपति कोविंद ने कहा, देश में तेजी से हो रहा विकास

नयी दिल्‍ली : 72वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 15 अगस्त का दिन प्रत्येक भारतीय के लिए पवित्र होता है और हमारा ‘तिरंगा’ हमारे देश की अस्मिता का प्रतीक है. हम सबको देश का विकास तथा ग़रीबी और असमानता से मुक्ति प्राप्त […]

नयी दिल्‍ली : 72वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 15 अगस्त का दिन प्रत्येक भारतीय के लिए पवित्र होता है और हमारा ‘तिरंगा’ हमारे देश की अस्मिता का प्रतीक है. हम सबको देश का विकास तथा ग़रीबी और असमानता से मुक्ति प्राप्त करने करने के लिए काम करना है.

उन्‍होंने कहा, देश तेजी से विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है. स्‍वतंत्रता दिवस राष्ट्र के नाम संकल्प पूरा करने का दिन है. स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर हमें यह संकल्‍प लेना चाहिए कि हमें जो जिम्मेदारी मिली है वह हम सब मिलकर पूरा करें और स्वाधीनता को नया आयाम देने की कोशिश करें.

उन्‍होंने कहा, कल हमारी आज़ादी के 71वां वर्ष पूरे हो रहे हैं. कल हम अपनी स्वाधीनता की वर्षगांठ मनाएंगे. राष्ट्र-गौरव के इस अवसर पर, मैं आप सभी देशवासियों को बधाई देता हूं. 15 अगस्‍त का दिन, प्रत्येक भारतीय के लिए पवित्र होता है, चाहे वह देश में हो, या विदेश में.

हमारा ‘तिरंगा’ हमारे देश की अस्मिता का प्रतीक है. इस दिन, हम देश की संप्रभुता का उत्सव मनाते हैं और अपने उन पूर्वजों के योगदान को कृतज्ञता से याद करते हैं, जिनके प्रयासों से हमने बहुत कुछ हासिल किया है. यह दिन, राष्ट्र-निर्माण में उन बाकी बचे कार्यों को पूरा करने के संकल्प का भी दिन है, जिन्हें हमारे प्रतिभाशाली युवा अवश्य ही पूरा करेंगे.

हम भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे महान देशभक्तों की विरासत मिली है. उन्होंने हमें एक आज़ाद भारत सौंपा है. साथ ही उन्होंने कुछ ऐसे काम भी सौंपे हैं, जिन्हें हम सब मिलकर पूरा करेंगे. देश का विकास करने तथा ग़रीबी और असमानता से मुक्‍ति प्राप्‍त करने के ये महत्वपूर्ण काम हम सबको करने हैं. इन कार्यों को पूरा करने की दिशा में हमारे राष्ट्रीय जीवन का हर प्रयास उन स्‍वाधीनता सेनानियों के प्रति हमारी श्रद्धांजलि है.

* हमें दुनिया के मुक़ाबले अधिक तेज रफ्तार से विकास करना होगा

करीब तीन दशक बाद, हम सब आज़ादी की सौवीं वर्षगांठ मनाएंगे. पूरी दुनिया तेजी से बदल रही है. हमें दुनिया के मुकाबले अधिक तेज रफ्तार से बदलाव और विकास करना होगा. आज जो निर्णय हम ले रहे हैं, जो बुनियाद हम डाल रहे हैं, जो परियोजनाएं हम शुरू कर रहे हैं, जो सामाजिक और आर्थिक पहल हम कर रहे हैं – उन्हीं से यह तय होगा कि हमारा देश कहां तक पहुंचा है.

हमारे देश में बदलाव और विकास तेजी से हो रहा है, और इस की सराहना भी हो रही है. हमारे देश में इस प्रकार के बदलाव हमारी जनता हमारे प्रबुद्ध नागरिकों और समाज एवं सरकार की साझेदारी से संचालित होते रहे हैं. हमेशा से हमारी सोच यह रही है कि ऐसे परिवर्तनों से समाज के वंचित वर्ग का और ग़रीबों का जीवन बेहतर बने.

* ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में न उलझें

आज हम अपने इतिहास के एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जो अपने आप में बहुत अलग है. आज हम कई ऐसे लक्ष्यों के काफी क़रीब हैं, जिनके लिए हम वर्षों से प्रयास करते आ रहे हैं. सबके लिए बिजली, खुले में शौच से मुक्ति, सभी बेघरों को घर और अति-निर्धनता को दूर करने के लक्ष्य अब हमारी पहुंच में हैं.

आज हम एक निर्णायक दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में हमें इस बात पर जोर देना है कि हम ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में न उलझें और ना ही निरर्थक विवादों में पड़कर अपने लक्ष्यों से हटें.

* देश में तेजी से हो रहा है विकास

इस समय ग्राम स्वराज अभियान के तहत सात प्रमुख कार्यक्रमों का लाभ हमारे सर्वाधिक गरीब और वंचित नागरिकों तक पहुंचाया जा रहा है. इन सेवाओं में बिजली, बैंकिंग, कल्याणकारी और बीमा कार्यक्रमों के साथ-साथ दुर्गम इलाकों तक टीकाकरण की सुविधा पहुंचाना शामिल है. ग्राम स्वराज अभियान के दायरे में उन 117 आकांक्षी जिलों को भी शामिल कर लिया गया है, जो आज़ादी के सात दशक बाद भी हमारी विकास यात्रा में पीछे रह गये हैं.

ग्राम स्वराज अभियान का कार्य केवल सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है. यह अभियान सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास से चल रहा है. इन प्रयासों में ऐसे नागरिक सक्रिय हैं जो निर्बल वर्गों की कठिनाइयों को कम करने उनकी तकलीफ़ बांटने और समाज को कुछ देने के लिए सदैव तैयार रहते हैं.

* शिक्षा का उद्देश्य सभी के जीवन को बेहतर बनाना

अपने देश के युवाओं में आदर्शवाद और उत्साह देखकर मुझे बहुत संतोष का अनुभव होता है. उनमें अपने लिए अपने परिवार के लिए समाज के लिए और अपने देश के लिए कुछ-न-कुछ हासिल करने की भावना दिखाई देती है.

नैतिक शिक्षा का इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता है. शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त कर लेना ही नहीं है, बल्कि सभी के जीवन को बेहतर बनाने की भावना को जगाना भी है. ऐसी भावना से ही संवेदनशीलता और बंधुता को बढ़ावा मिलता है. यही भारतीयता है. यही भारत है. यह भारत देश ‘हम सब भारत के लोगों’ का है न कि केवल सरकार का.

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