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प्रभात खबर से विशेष बातचीत में नितिन गडकरी ने कहा, जो बोला, उसे पूरा कर दिखाया

पिछले चार सालों में राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण का काम तेजी से हो रहा है. 14 लेन वाले दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे से लेकर इस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे तक का निर्माण रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है, लेकिन अभी देश के कई राज्यों में एक्सप्रेस-वे नहीं हैं और बढ़ती आबादी को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग का दायरा […]

पिछले चार सालों में राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण का काम तेजी से हो रहा है. 14 लेन वाले दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे से लेकर इस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे तक का निर्माण रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है, लेकिन अभी देश के कई राज्यों में एक्सप्रेस-वे नहीं हैं और बढ़ती आबादी को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग का दायरा बढ़ाना बड़ी चुनौती है. मोदी सरकार ने चुनाव के दौरान गंगा को निर्मल बनाने का वादा किया था, लेकिन गंगा पूरी तरह से अभी निर्मल दिख नहीं रही है. इन सारे सवालों पर प्रभात खबर के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख अंजनी कुमार सिंह की केंद्रीय सड़क परिवहन, जल संसाधन एवं गंगा सफाई मंत्री नितिन गडकरी से बातचीत
Q सरकार के चार साल के काम-काज का आकलन आप किस तरह से करते हैं?
पिछले चार सालों में सड़क निर्माण से लेकर सिंचाई की सुविधा बेहतर करने और फिर गंगा की सफाई अभियान सहित कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वर्ष 2013-14 में देश में 92851 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग था, जो 2017-18 में बढ़कर 122434 किलोमीटर हो गया, यानी पिछले चार सालों में लगभग 30 हजार किलोमीटर राजमार्ग का विस्तार किया गया. वर्ष 2013-14 में रोजाना 11.6 किलोमीटर सड़कों का निर्माण होता था, जो 2017-18 में बढ़कर 26.9 किलोमीटर हो गया. दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने के लिए रिकाॅर्ड समय में इस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे और दिल्ली से मेरठ तक 14 लेन का एक्सप्रेस-वे बनाया गया.ये एक्सप्रेस-वे अपने आप में अनूठे हैं और सोलर पैनल से लेकर वर्टिकल गार्डन, साइकिल ट्रैक जैसी अन्य सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं.
Q सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि आप क्या मानते हैं?
केंद्र में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी, तो उस समय एक लाख करोड़ की लागत वाली 8310 किलोमीटर लंबी 73 सड़क योजनाएं विभिन्न कारणों से लंबित थीं. हमारी सरकार ने इन याेजनाओं के लंबित होने के कारणों का पता लगाकर इन्हें पूरा करने का फैसला लिया. इसके लिए कई तरह के नीतिगत फैसले लिये गये. निवेश को बेहतर करने के लिए कई स्तरों पर प्रयास किये गये. इन सबके बावजूद अभी बहुत कुछ किया जाना है, जिन्हें सभी के सहयोग से पूरा किया जा सकता है.
Q प्रधानमंत्री ने प्रतिदिन 41 किलोमीटर सड़क निर्माण करने की बात कही थी, लेकिन 2017 में सिर्फ 26 किलोमीटर की रफ्तार से ही सड़कें बनी हैं. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
मौजूदा समय में रोजाना लगभग 27 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण हो रहा है. हम रोजाना 41 किलोमीटर सड़क का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में बढ़ रहे हैं और इसे देखते हुए मौजूदा वित्त वर्ष में 16418 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया है. यह लक्ष्य पिछले साल के मुकाबले 67 फीसदी अधिक है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मंत्रालय विभिन्न स्तरों पर काम कर रहा है.
Q नक्सल प्रभावित इलाकों में राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण की रफ्तार धीमी है. इसे तेज करने की दिशा में क्या कदम उठाये जा रहे हैं?
ऐसा नहीं है. काम तेजी से हो रहा है. झारखंड, महाराष्ट्र, ओड़िशा, छत्तीसगढ आदि सभी राज्यों में काम हो रहे हैं. नदियों पर पुल बन रहे हैं. गढ़चिरौली में इंद्रावती नदी पर 30 से 40 हजार करोड़ का हाइवे बन रहा है. नक्सली काम में रोड़ा अटकाने की कोशिश करते हैं, क्योंकि वह नहीं चाहते हैं कि विकास का काम हो.
Q विपक्ष का आरोप है कि जितने किलोमीटर टेंडर दिये जाते हैं, उसी को आप वास्तविक सड़क निर्माण बताते हैं.
विपक्ष को मेरे दावे पर आपत्ति है, तो मैं चाहता हूं कि वे इन दावों की जांच करें और आमने-सामने बात करें. मैंने चार सालों में जो कहा है, उसे पूरा कर दिखाया है. मैं उतना ही बोलता हूं, जितना काम करता हूं. जब इस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे और दिल्ली से मेरठ तक 14 लेन का एक्सप्रेस-वे बनाने की बात कही, तो उसे भी कांग्रेस झूठ बता रही थी. पूछती थी, पैसे कहां से आयेंगे? नतीजा सबके सामने है.
Q मोदी सरकार ने 2019 तक गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने का वादा किया था. क्या सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम है?
गंगा को स्वच्छ करने का मिशन हमारे एजेंडे में है. यह कठिन काम है, लेकिन मार्च 2019 तक 70 फीसदी तक इसे स्वच्छ बना दिया जायेगा. इसके लिए गंगा की लगभग 40 सहायक नदियों को भी साफ किया जा रहा है. लगभग 20601 करोड़ की लागत वाली 193 योजनाओं को मंजूरी दी गयी है. इसमें 20 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हो चुका है. इसके अलावा गंगा के किनारे बसे गांवों में 12.74 लाख शौचालय बनाये गये हैं. इसके अलावा जनभागीदारी सुनिश्चित कर इसे निर्मल बनाने का काम किया जा रहा है.
Q मोदी सरकार ने नदियों को जोड़ने की योजना को भी पूरा करने का वादा किया था. इस योजना की प्रगति क्या है और इसमें क्या दिक्कतें आ रही हैं?
सरकार नदियों को जोड़ने की योजना को प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ा रही है. इसके लिए पहले चरण में चार योजनाओं को प्राथमिकता दी गयी है. इनमें केन-बेतवा, दमनगंगा-पिंजल, पार-तापी-नर्मदा और महानदी-गोदावरी लिंक योजना प्रमुख है. इस साल केन-बेतवा को जोड़ने का काम पूरा हो जायेगा. राज्यों के साथ ही पर्यावरण को भी ध्यान में रखते हुए इस काम को आगे बढाया जा रहा है. इससे लगभग 8.98 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा. साथ ही पानी को लेकर राज्यों के बीच के वर्षों पुराने विवाद भी खत्म हो जायेंगे.
Q गंगा में गाद की सफाई के लिए बिहार सरकार की ओर से कई बार आग्रह किया गया है, लेकिन अबतक इस दिशा में कोई पहल होती दिख नहीं रही है…
एक समय गंगा में जहाज चलते थे. अभी नदियों में गाद जमा है. इससे कम वर्षा होने पर भी नदियों का पानी गांवों में घुस जाता है. अब एक ही उपाय है कि बड़े पैमाने पर गाद को निकालें, तो नदी गहरी होगी और पानी बाहर नहीं आयेगा. यदि गाद निकाला का काम नहीं हुआ, तो नदी का प्रवाह पूरी तरह से रूक जायेगा. हम चाहते हैं कि बड़े पैमाने पर गाद को निकालकर इसका प्रयोग राज्य और केंद्र सरकार अपनी परियोजनाओं में करें. तब कांट्रेक्टर भी ड्रेजिंग का काम मुफ्त में कर देंगे, लेकिन इसका भी विरोध करने वाले हैं, जो गाद निकालने से पर्यावरण क्षति की बात कह मंजूरी नहीं दे रहे हैं.
Q बिहार, झारखंड के कई जिलों में पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक होने के कारण कई तरह की परेशानियां पैदा हो रही हैं. इससे निबटने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
जहां पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड ज्यादा है, वहां पानी को रोकना पड़ेगा तथा वहां पर शुद्ध पेयजल नल के द्वारा पहुंचाना होगा. इस दिशा में सरकार ठोस कदम उठाने पर विचार कर रही है.
Q देश के कई इलाकों में जल संकट गहरा गया है. भू-जल के गिरते स्तर पर आप क्या कहेंगे?
हमारे यहां एक स्लोगन है- दौड़ने वाले पानी को चलने के लिए लगाओ, चलने वाले पानी को रुकने के लिए लगाओ और रुके हुए पानी को जमीन में टिके रहने में लगाओ. बरसात के दौरान जितना पानी आता है, उसका सिर्फ 15- 20 प्रतिशत ही झील और डैम में जाता है. बाकी 70 फीसदी समुद्र में चला जाता है. यानी 70 फीसदी पानी बर्बाद हो जाता है. गांव का पानी गांव में, खेत का पानी खेत में, घर का पानी घर में यानी जहां का पानी है, उसे वहीं की जमीन में रोका जाये, तो भू-जल का स्तर बढ़ेगा. इसे जनभागीदारी से आंदोलन में तब्दील करना होगा.
Q बीते चार सालों में कोई ऐसा काम, जो आप करना चाह रहे हों, लेकिन किसी कारण से वह अबतक पूरा नहीं हो पाया हों?
चार धाम प्रोजेक्ट को मार्च से पहले पूरा करना चाहता हूं, क्योंकि यह चीन की सीमा से सटा और सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. सिंगल रोड की वजह से बद्रीनाथ-केदारनाथ हादसे में बहुत श्रद्धालु मारे गये, लेकिन जब सड़क हिमालय क्षेत्र से होकर गुजरेगी, तो पेड़ कटेंगे ही. जितने पेड़ कटेंगे, उनका 10 गुणा लगाने को तैयार हूं. इसके लिए हमने 100-100 किलोमीटर का पैकेज बनाया और उसे पर्यावरण मंजूरी के लिए भेजा, लेकिन एनजीटी का कहना है कि पूरे प्रोजेक्ट का एक साथ ही क्लीयरेंस लें, जिसके कारण मामला अटका हुआ है.
Q यह आम धारणा है कि दूसरे विभागों या अधिकारियों से अटके हुए और कठिन-से-कठिन काम करवाने में आपको महारत हासिल है. यह सब कैसे करते हैं?
हमारे मंत्रालय में पारदर्शिता है. हमने 10 लाख करोड़ के काम किये हैं, लेकिन अभी तक किसी एक काम में भी किसी तरह की शिकायतें नहीं आयी है. लोगों को भरोसा है कि इसमें मंत्री का अपना कोई हित नहीं है. अधिकारियों को साफ निर्देश हैं कि अगर उन्हें किसी तरह की शंका हो, तो उसका समाधान तुरंत करें. छोटे कर्मचारियों के भी सुख-दुख में साथ होता हूं. मेरा मानना है कि अच्छे काम करने वालों को सम्मान भी मिलना चाहिए. इसका मैं हमेशा ध्यान रखता हूं. यही कारण है कि सभी के सहयोग से मंत्रालय का काम इतनी तेजी से हो रहा है.

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