नयी दिल्ली : बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जे चेलामेश्वर के सेवानिवृत्त होने के तीन दिन बाद मीडिया में उनके ‘अप्रासंगिक’ और ‘विवादास्पद’ बयानों के लिए तीखी आलोचना की है. बीसीआई ने कहा कि ऐसी टिप्पणियों की निन्दा की जानी चाहिए और वकीलों द्वारा इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. सुप्रीम कोर्ट से 22 जून को सेवानिवृत्त होने वाले न्यायाधीश चेलामेश्वर ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत नहीं करने के सरकार के फैसले को एक ‘कहीं नहीं ठहर सकने वाली’ कार्रवाई बताया था.
इसे भी पढ़ें : जस्टिस चेलामेश्वर शुक्रवार को हो जायेंगे सेवानिवृत्त, जस्टिस जोसेफ की पदोन्नति का मामला अधर में
न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने शीर्ष अदालत के तीन अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ 12 मार्च को प्रेस कांफ्रेस करके विभिन्न पीठ को मुकदमे आवंटित करने में पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि सर्वोच्च न्यायपालिका की विश्वसनीयता यदा-कदा खतरे में पड़ जाती है. न्यायमूर्ति चेलामेश्वर की प्रतिक्रिया जानने के लिए उनसे संपर्क करने के प्रयास सफल नहीं हुए.
बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने एक बयान में न्यायमूर्ति चेलामेश्वर के सेवानिवृत्त होने के बाद उनके बयानों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि इतने उच्च पद पर आसीन व्यक्ति से ऐसी उम्मीद नहीं थी और यह उनकी गरिमा के प्रतिकूल था. बयान में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा आत्म संयम का सिद्धांत भुला दिया गया है. उन्हें इस तरह के बयानों के नतीजों पर विचार किये बगैर उन्हें जारी करने से खुद को बचाना होगा.
बयान में कहा गया है कि न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद जिस तरह से मीडिया में विवादास्पद तथा अप्रासंगिक बयान दिये, उनकी ऐसे व्यक्ति से अपेक्षा नहीं थी, जो एक उच्च पद पर आसीन था. वास्तव में यह उस पद की गरिमा के खिलाफ था, जिस पर वह आसीन थे. बयान में कहा गया कि न्यायाधीश ने ‘बेंच फिक्सिंग’ जैसे विवादास्पद शब्द का इस्तेमाल किया और संकेत दिया कि ऐसे उदाहरण हैं, जिसमे चुनिन्दा वकीलों ने याचिका दायर की और उनके समक्ष इसका उल्लेख किया और इसे सूचीबद्ध कराने का प्रयास किया.
बीसीआई ने कहा कि न्यायाधीश को उसी समय इस मुद्दे को उठाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और हकीकत में उन्होंने इसे स्वीकार किया और चुनिंदा मामलों की स्वयं सुनवाई करने के लिए राजी हुए, जो एक गलत परंपरा की शुरुआत थी. बयान में यह भी कहा गया कि प्रेस कांफ्रेंस के तुरंत बाद न्यायमूर्ति चेलामेश्वर की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और राज्य सभा सदस्य डी राजा से मुलाकात के रहस्य और उनके द्वारा जारी विवादास्पद बयानों के पीछे की छिपी मंशा को उजागर करती है.