नयी दिल्ली : निवर्तमान सरकार ने लोकपाल से संबंधित कार्यों को निपटाने के लिए एक अलग प्रभाग बनाया है जिसकी अध्यक्षता निदेशक स्तर का एक अधिकारी करेगा. कार्मिक मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि यह पृथक इकाई आरटीआइ के आवेदनों और अपीलों का निवारण करने सहित लोकपाल की कार्यप्रणाली से जुडी गतिविधियों में मदद करेगी.
अधिकारियों के अनुसार मंत्रालय ने हाल ही में गठित लोकपाल प्रभाग के निदेशक के तौर पर अनिल कुमार वी पाटिल की नियुक्ति की. लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम के तहत सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए केंद्र सरकार लोकपाल और राज्य सरकारें लोकायुक्त का गठन करती हैं. केंद्र सरकार को इन इकाइयों के अध्यक्ष और सदस्य पद के लिए कई नामांकन मिले हैं.
निवर्तमान संप्रग सरकार लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं कर सकी क्योंकि ऐसा लगता है कि भाजपा नेताओं ने चयन प्रक्रिया का विरोध किया. संप्रग सरकार ने बीते फरवरी महीने में लोकपाल के प्रमुख और सदस्यों की नियुक्ति के संदर्भ में आठ सदस्यों की एक सर्च कमेटी का गठन किया था.
लोकपाल की सर्च कमेटी के प्रमुख के तौर पर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) केटी थॉमस तथा सात सदस्यों के रुप में पूर्व आईएएस अधिकारी काकी माधव राव, कानूनविद् एफएन नरिमन, शिक्षाविद् प्रोफेसर मीनाक्षी गोपीनाथ, सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक एमएल कुमावत, वरिष्ठ पत्रकार एवं राज्यसभा सदस्य एचके दुआ, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी तथा राज्यसभा सदस्य प्रोफेसर मृणाल मिरी का चयन किया गया था.
इस चयन के बाद संप्रग सरकार को उस वक्त कडा झटका लगा जब थॉमस और नरिमन ने सर्च कमेटी का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया. चयन समिति में लोकपाल सदस्य, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, प्रधान न्यायाधीश अथवा उच्चतम न्यायालय की ओर से नामित न्यायाधीश और एक राष्ट्रपति अथवा किसी दूसरे सदस्य की ओर से नामित कानूनविद् शामिल होते हैं.
कल शपथ लेने जा रही नरेंद्र मोदी नीत सरकार को स्क्रीनिंग कमेटी के दो नए सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा. उधर, पूरी चयन प्रक्रिया को रोक लगाने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है.