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खतरनाक हो गया है निपाह वायरस, बचने के लिए ऐसा करें

कोझिकोड : केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस ने तबाही मचा रखी है. लोगों की मौत का सिलसिला जारी है. राज्य सरकार को अलर्ट जारी करना पड़ा है. कंट्रोल रूम भी बनानेपड़े. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने लोगों को इस जानलेवा वायरस से बचने के तरीकेअपनाने की अपील की है. इस बात की पुष्टि […]

कोझिकोड : केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस ने तबाही मचा रखी है. लोगों की मौत का सिलसिला जारी है. राज्य सरकार को अलर्ट जारी करना पड़ा है. कंट्रोल रूम भी बनानेपड़े. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने लोगों को इस जानलेवा वायरस से बचने के तरीकेअपनाने की अपील की है. इस बात की पुष्टि हो गयी है कि हाल के दिनों में बुखार की वजह से जो मौतें हुई हैं, वे निपाह वायरस के कारण ही हुई हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने जांच के बाद इस पर मुहर लगायी है.

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मनिपाल यूनिवर्सिटी के इपीडेमियोलॉजी विभाग के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ों के लार से फैलता है, इसलिए लोगों को इससे बचना चाहिए. निपाह वायरस से बीमार लोगों से स्वास्थ्य व्यक्ति को दूर रहना चाहिए. यह बीमार व्यक्ति के लार से फैल सकता है. ज्ञात हो कि वर्ष 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी जिले मेंइस वायरस ने 45 लोगों की जान ले ली थी.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट बताती है कि अप्रैल से जून तक निपाह वायरस के फैलने का खतरा ज्यादा होता है. सबसे ज्यादा संक्रमण मई महीने में होता है. हालांकि, सर्दी के मौसम मेंवर्ष 2001 में भारत में और 2004 में बांग्लादेश में निपाह वायरस का संक्रमण देखा गया था. भारत में इसके पहले पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में निपाह वायरस के संक्रमण ने लोगों को परेशान किया था.

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सबसे पहले निपाह वायरस वर्ष 1988 में मलयेशिया के कामपुंग सुंगाई निपाह गांव में पाया गया था.इसगांव के नाम पर इस वायरस का नामकरण कर दिया गया. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सबसे पहले सुअरों में निपाह वायरस पहुंचा था. इसके बाद यह कुत्तों, बिल्ल‍ियों, चूहों और अन्य जानवरों से होते हुए मनुष्यों तक पहुंचा. मनुष्य से मनुष्य तक भी निपाह का संक्रमण होता है. ऐसा माना जाता है कि खजूर खाने वाले लोगों तक सबसे पहले यह वायरस पहुंचा.

भूख और तनाव से ग्रस्त चमगादड़ों (fruit bats) में एक ऐसा टिपिकल बायोलॉजिकल स्टेज तैयार हुआ है जिसकी वजह से उनमें निपाह वायरस का संक्रमण हो जाता है और उनसे यह मनुष्य तक पहुंच जाता है. चमगादड़ जीव विज्ञान के वर्गीकरण के लिहाज से पटेरोपस जीनस और पटेरोपोडियाडे परिवार के तहत आते हैं.

निपाह वायरस के फैलने के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार

डब्ल्यूएचओ ने संकेत दिया है कि घातक निपाह वायरस के फैलने के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार हैं. कई अध्ययनों से पता चला है कि इस वायरस के मूल स्रोत फ्रूट बैट यानी फल खाने वाले चमगादड़ ही थे. वे शताब्दियों तक मलयेशिया के जंगलों में रहते थे. मानव बस्तियों से दूर.जब तक उन्हें भरपूर भोजन मिला, वे जंगलों में ही रहे. मानवीय गतिविधियों की वजह से चमगादड़ों के वासस्थल नष्ट हो गये और चमगादड़ भूख और तनावसेग्रस्त हो गये. उनके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होगयी. शरीर के भीतर वायरस बढ़ गये और ऐसे तमाम वायरस उनके पेशाब तथा लार से बाहर आने लगे, जो अब मनुष्य में फैल रहे हैं.

निपाह वायरस क्या है?

-यह तेजी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और मनुष्यों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है.

-वायरस को पुराने चमगादड़ ले जाते हैं, जिन्हें फ्रूट बैट भी कहा जाता है.

-सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, निपाह वायरस का इन्फेक्शन इन्सेफलाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग को नुकसान होता है.

बीमारी के लक्षण क्या?

-ये वायरस 3 से 14 दिन तक तेज बुखार और सिरदर्द की वजह बन सकता है.

-24-48 घंटों में मरीज कोमा में पहुंच सकता है.

-इन्फेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है.

-ज्यादातर मरीजों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी हो सकती हैं.

-दिमाग में सूजन, तेज बुखार और सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द होता है.

ऐसे करें बचाव

-ऐसे फलों को न खायें, जो पेड़ से गिरे हों या काफी गल गये हों.

-उस व्यक्ति के नजदीक न जायें, जो इस वायरस से पीड़ित हो.

-इस वायरस की वजह से जिनकी मौत हुई हो, उनके शव से भी दूर रहें.

-अगर आपको तेज बुखार हो, तो अस्पताल जायें.

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