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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को स्वास्थ्य योजना के तहत दावों के निपटान के लिए समिति बनाने का आदेश दिया

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना ( सीजीएचएस ) के तहत भुगतान के दावों में ‘‘ अनावश्यक प्रताड़ना ” से सेवानिवृत्त सरकारी कर्मियों को बचाने के लिए उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से एक महीने के भीतर भुगतान करने के लिए उच्च अधिकार प्राप्त समिति का ‘‘ तेजी से ” गठन करने के लिए […]

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना ( सीजीएचएस ) के तहत भुगतान के दावों में ‘‘ अनावश्यक प्रताड़ना ” से सेवानिवृत्त सरकारी कर्मियों को बचाने के लिए उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से एक महीने के भीतर भुगतान करने के लिए उच्च अधिकार प्राप्त समिति का ‘‘ तेजी से ” गठन करने के लिए कहा है .

न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को सात दिनों के भीतर समिति का गठन करने के निर्देश भी दिए. न्यायालय ने निर्देश दिया कि समिति में विशेष महानिदेशक , महानिदेशक , दो अतिरिक्त निदेशक और एक विशेषज्ञ होगा तथा वे यह सुनिश्चित करेंगे कि पेंशन भोगियों के दावों का समय पर और बाधा रहित निपटान किया जाए.
पीठ ने कहा , ‘‘ सीजीएचएस द्वारा पेंशन लाभार्थियों के चिकित्सा भुगतान दावों ( एमआरसी ) की धीमी गति से निपटान के कारण वरिष्ठ नागरिकों पर मानसिक , शारीरिक और वित्तीय असर पड़ता है. हमारा मानना है कि ऐसे सभी दावों का संबंधित मंत्रालय में सचिव स्तर की उच्च अधिकार प्राप्त समिति द्वारा निपटान किया जाना चाहिए जो ऐसे मामलों के त्वरित निपटाने के लिए हर महीने बैठक करे.
ये निर्देश एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी की याचिका पर आए हैं जिन्हें दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉटर्स अस्पताल और मुंबई के जसलोक अस्पताल में उनके इलाज के लिए वर्ष 2014 में सीजीएसएच के तहत भुगतान करने से इनकार कर दिया गया क्योंकि इस योजना के तहत इन अस्पतालों के नाम शामिल नहीं थे. पीठ ने मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को 4,99,555 रुपये दें जो उनके इलाज पर खर्च हुए.

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