नयी दिल्ली : लाभ के पद के मामले में विधायक के रूप में खुद को अयोग्य घोषित किये जाने के फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी के चार और विधायकों ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने दावा किया कि निर्वाचन आयोग द्वारा राष्ट्रपति को की गई सिफारिश में ‘खामियां’ हैं. उनकी याचिकाएं सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की पीठ के समक्ष आयीं, जिसने निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर विधायकों की याचिकाओं पर जवाब मांगा.
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निर्वाचन आयोग की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अमित शर्मा ने अदालत को सूचित किया कि आयोग नया उत्तर दायर नहीं करेगा और उसी हलफनामे पर चलेगा, जो आप के आठ अन्य विधायकों की अयोग्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में पहले ही दायर किया जा चुका है.
आप के विधायकों ने तर्क दिया कि निर्वाचन आयोग ने ‘नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन’ कर अपना मत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजा. कुछ अयोग्य विधायकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन पारासरन ने कहा कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के तहत बचाव का उचित अवसर प्रदान करने की आवश्यकता होती है. विधायकों को खुद का बचाव करने का उचित अवसर प्रदान नहीं किया गया.
उन्होंने दावा किया कि कई प्रक्रियागत खामियां हैं, क्योंकि निर्वाचन आयोग ने उनके खिलाफ आवश्यक कोरम के बिना फैसला किया. पारासरन ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग के सदस्यों में से एक ने शुरू में खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था, लेकिन संसदीय सचिव के रूप में लाभ के पद को लेकर 20 आप विधायकों को अयोग्य घोषित करने का फैसला पारित करने के समय वह सदस्य फिर से शामिल हो गया. याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें अधूरी रहीं, जो गुरुवार को शुरू होंगी. अब तक 12 आम आदमी पार्टी के विधायक अपनी अयोग्यता को चुनौती दे चुके हैं.