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सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में अधिकारियों को आरोप मुक्त करने को चुनौती नहीं देगी सीबीआई

मुंबई : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बंबई उच्च न्यायालय से आज कहा कि वह सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को आरोप मुक्त किये जाने को चुनौती नहीं देगी. सीबीआई के वकील संदेश पाटिल और अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत से कहा कि एजेंसी ने पहले ही मामले में कुछ कनिष्ठ […]


मुंबई :
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बंबई उच्च न्यायालय से आज कहा कि वह सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को आरोप मुक्त किये जाने को चुनौती नहीं देगी. सीबीआई के वकील संदेश पाटिल और अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत से कहा कि एजेंसी ने पहले ही मामले में कुछ कनिष्ठ अधिकारियों को आरोप मुक्त किये जाने को चुनौती दी थी.

हालांकि, सीबीआई ने सोहराबुद्दीन शेख और उसके सहायक तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या के मामले में गुजरात के पूर्व पुलिस उप महानिरीक्षक डी जी वंजारा, राजस्थान के आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन और गुजरात के आईपीएस अधिकारी राजकुमार पांडियन समेत वरिष्ठ अधिकारियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती नहीं देने का फैसला किया है.

सीबीआई ने यह बात उस समय कही जब न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे की एकल पीठ सोहराबुद्दीन शेख के भाई रूबाबुद्दीन द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रही थी. रूबाबुद्दीन ने इन अधिकारियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है. निचली अदालत ने 2016 और 2017 में पांडियन, वंजारा और दिनेश एमएन को आरोप मुक्त कर दिया था. रूबाबुद्दीन शेख ने मामले से तीन अधिकारियों को आरोप मुक्त करने को चुनौती देते हुए अलग याचिकाएं दायर की हैं.

हालांकि, उनके वकील गौतम तिवारी ने आज उच्च न्यायालय से कहा कि वे दिनेश एमएन और पांडियन को नोटिस दे चुके हैं लेकिन वे वंजारा का पता या संपर्क विवरण पाने में अक्षम रहे हैं. अदालत ने इससे पहले सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता को वंजारा का पता प्रदान करे, लेकिन तिवारी ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने उन्हें गलत पता दिया था.

अदालत ने आज सीबीआई को निर्देश दिया कि वह वंजारा का पता लगाए और उन्हें नोटिस देकर निर्देश दे कि वह सुनवाई की अगली तारीख से पहले अपना पक्ष रखें. मुंबई में विशेष सीबीआई अदालत ने उपरोक्त तीनों अधिकारियों को इस आधार पर आरोप मुक्त कर दिया था कि सीबीआई उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये पूर्व अनुमति या विशेष अनुमति पाने में विफल रही. उच्चतम न्यायालय के मामले की सुनवाई गुजरात के बाहर स्थानांतरित करने का आदेश देने के बाद विशेष सीबीआई अदालत इस मामले पर सुनवाई कर रही है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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