13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गुजरात चुनाव नतीजे में छिपे संकेत को पढ़ना नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए क्यों है बहुत जरूरी

नयी दिल्ली : गुजरात विधानसभा चुनाव में सामान्यबहुमतकेसाथ भाजपा जीततीदिख रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी अमित शाह के गृहप्रदेश गुजरात में ही देश की इस सबसे सफल मानी जाने वाली राजनीतिक जोड़ी को अबतक की सबसे कठिन चुनावी लड़ाई लड़नी पड़ी है. गुजरात मॉडल के जरिये ही नरेंद्र मोदी ने […]

नयी दिल्ली : गुजरात विधानसभा चुनाव में सामान्यबहुमतकेसाथ भाजपा जीततीदिख रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी अमित शाह के गृहप्रदेश गुजरात में ही देश की इस सबसे सफल मानी जाने वाली राजनीतिक जोड़ी को अबतक की सबसे कठिन चुनावी लड़ाई लड़नी पड़ी है. गुजरात मॉडल के जरिये ही नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव जीता था और देश के प्रधानमंत्री बने थे. लेकिन, अब इसी गुजरात मॉडल पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लगातार सवाल उठाते हुए भाजपा केबड़े बहुमत को सामान्य बहुमत में लगभग बदल दिया है. दोनों दलों के अंतर को कम होने को भाजपा के गुजरात मॉडल पर सवाल तो माना ही जा सकता है. तो क्या गुजरात मॉडल पर राहुल गांधी के सवाल ने असर दिखा दिया है अौर नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह के लिए जीत के बाद यह चिंतन की घड़ी है.

मोदी-शाह के करिश्मे के बावजूद प्रदेश में मजबूत नेता जरूरी

नरेंद्र मोदी और अमित शाह भाजपा की राजनीति के अभी धुरी हैं और कई राज्यों में बिना मजबूत नेता के उन्होंने चुनाव में भाजपा की जीत दिलायी, लेकिन यह भी देखना जरूरी है कि जहां विपक्ष के पास बहुत मजबूत नेता व चेहरा था वहां भाजपा को मुंह की खानी पड़ी. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के सामने भाजपा को किरण बेदी के नेतृत्व में बेहद बुरी हार का सामना करना पड़ा. बिहार में नीतीश कुमार जैसे बड़े चेहरे व मजबूत नेतृत्व के सामने भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. यही हाल पंजाब में हुआ था, जब कैप्टन अमरिंदर सिंह के कारण अकाली-भाजपा गठजोड़ को हारना पड़ा. ऐसे में सिर्फ इस धारणा पर चुनाव नहीं लड़ा जा सकता है कि केंद्रीय नेतृत्व बेहद मजबूत है और राज्य में बिना मजबूत नेता व ढुलमूल चेहरों के बल पर भी जीत मिलनी तय है.

भाजपा अब भी मजबूत, लेकिन विपक्षी एकजुटता हो तोवह अपराजेय नहीं

गुजरात चुनाव ने एक संकेत यह दिया है कि भारतीय जनता पार्टी अब भी मजबूत है. अमित शाह ने बिल्कुल निचले स्तर तक कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज तैयार कर दी है और उसका संगठन बहुत मजबूत है. लेकिन, गुजरात के परिणाम ने यह भी संकेत दिया है कि इन खुबियों के बावजूद वह अपराजेय नहीं है. अगर विपक्ष पूूरी एकजुटता से, मजबूत मुद्दों पर चुनाव लड़े तो वह भाजपा के खिलाफ खड़ी हो सकती है. दूसरे चरण के चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस के बड़बोले नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीच बता दिया, जिसे मोदी व भाजपा ने जातीय व गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया. इसका लाभ भाजपा को दूसरे चरण के मतदान में हुआ. इस बात को आज स्वयं पूर्ण मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने स्वीकार किया, उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव के आखिरी चार-पांच दिन में हमें जो गालियां दी उससे हमें लाभ हुआ. यानी आनंदी अगर अय्यर ने मोदी को नीच नहीं बढ़ाया होता और अल्पेश ठाकोर ने मोदी के गोरे होने के मशरूम वाले राज नहीं बताये होते तोभाजपा के लिए और मुश्किल हो सकती थी. अगर गुजरात चुनाव को 2019 के लोकसभा का सेमिफाइनल माना जाये तो माना जा सकता है कि अगर विपक्ष एकजुट हुआ और उसने मुद्दों पर चुनाव लड़ा तो वह भाजपा के लिए चुनौती बनेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें