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सावधान!! अपनों से ही सुरक्षित नहीं हैं महिलाएं, बलात्कार के अधिकतर आरोपी रिश्तेदार या पहचान वाले

नयी दिल्ली : देश में आये दिन बलात्कार की घटनाएं जिस तरह सामने आती हैं, वे ना सिर्फ शर्मनाक हैं बल्कि इस सभ्य समाज के सामने कई सवाल भी खड़े करते हैं. शर्मनाक स्थिति तब और हो जाती है जब बलात्कार की शिकार पीड़िता पांच साल से भी कम उम्र की होती है. चौंकाने वाली […]

नयी दिल्ली : देश में आये दिन बलात्कार की घटनाएं जिस तरह सामने आती हैं, वे ना सिर्फ शर्मनाक हैं बल्कि इस सभ्य समाज के सामने कई सवाल भी खड़े करते हैं. शर्मनाक स्थिति तब और हो जाती है जब बलात्कार की शिकार पीड़िता पांच साल से भी कम उम्र की होती है. चौंकाने वाली बात यह है कि बलात्कार के आरोपी अधिकतर घर वाले या पहचान वाले होते हैं.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो यौन अपराधों के मामले में देश की बच्चियां और महिलाएं पराये लोगों के मुकाबले अपने सगे-संबंधियों और जान-पहचान के लोगों से कहीं ज्यादा असुरक्षित हैं. एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट सामाजिक गिरावट के इस रुख की तसदीक करती है. इसके आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016 में बलात्कार के 94.6 प्रतिशत पंजीबद्ध मामलों में आरोपी कोई और नहीं, बल्कि पीड़िओं के परिचित थे जिनमें उनके दादा, पिता, भाई और बेटे तक शामिल हैं.

एनसीआरबी की सालाना रिपोर्ट ‘भारत में अपराध 2016’ के मुताबिक देश में पिछले साल लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट), भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 376 और इसकी अन्य संबंद्ध धाराओं के तहत बलात्कार के कुल 38,947 मामले दर्ज किये गये. इनमें से 36,859 प्रकरणों में पीड़ित बच्चियों और महिलाओं के परिचितों पर उन्हें हवस की शिकार बनाने के इल्जाम लगाये. एनसीआरबी के आंकडों के मुताबिक वर्ष 2016 में बलात्कार के 630 मामलों में पीड़िताओं के साथ उनके दादा, पिता, भाई और बेटे ने कथित तौर पर दुष्कर्म किया, जबकि 1,087 प्रकरणों में उनके अन्य नजदीकी संबंधियों पर उनकी अस्मत को तार-तार करने के आरोप लगे.

पिछले साल 2,174 मामलों में पीड़िताओं बच्चियों और महिलाओं के रिश्तेदार इनसे बलात्कार के आरोप की जद में आये, जबकि 10,520 प्रकरणों में पीड़िताओं के पडोसियों पर दुष्कृत्य की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. नियोक्ताओं और सहकर्मियों पर 600 मामलों में बलात्कार का आरोप लगाया गया. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इन आंकडों पर चिंता जताते हुए कहा, हमारे समाज में लड़कियों पर हमेशा से तमाम पाबंदियां लगायी जाती रही हैं. लेकिन यह सब बहुत हो गया. अब वक्त आ गया है कि हर घर में लड़कों को बचपन से ही सिखाया जाये कि उन्हें देश के सामाजिक मूल्यों के मुताबिक अपने परिवार और इससे बाहर की बच्चियों तथा महिलाओं से किस तरह बर्ताव करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री आसानी से उपलब्ध है. ऐसे में लड़कों की सोच को गंदी होने से बचाने के लिए उनके माता-पिताओं को ध्यान रखना चाहिए कि वे मोबाइल फोन और कम्प्यूटर पर क्या देख रहे हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में महिलाओं के लिव-इन जोड़ीदारों, पतियों और पूर्व पतियों पर 557 मामलों में दुष्कृत्य के प्रकरण पंजीबद्ध हुए. शादी का वादा कर महिलाओं से बलात्कार के 10,068 मामले दर्ज किये गये. रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल बलात्कार के अन्य 11,223 पंजीबद्ध मामलों में भी पीड़ित बच्चियां और महिलाएं आरोपियों से किसी न किसी तरह परिचित थीं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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