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पढ़ें, प्रधानमंत्री मोदी की ”Mann Ki Baat” की 10 खास बातें

नयी‍ दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को 34वीं बार ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये देशवासियों को संबोधित किया. इस दौरान उन्हें कई मुद्दों पर अपने विचार साझे किये. मोदी ने बाढ़,मॉनसून,जीएसटी,स्‍वतंत्रता दिवस,अगस्त क्रांति, महिला क्रिकेट जैसे मुद्दों पर चर्चा की. आइये एक-एक कर जानें कि मोदी ने इस मुद्दों पर क्‍या कहा. 1. […]

नयी‍ दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को 34वीं बार ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये देशवासियों को संबोधित किया. इस दौरान उन्हें कई मुद्दों पर अपने विचार साझे किये. मोदी ने बाढ़,मॉनसून,जीएसटी,स्‍वतंत्रता दिवस,अगस्त क्रांति, महिला क्रिकेट जैसे मुद्दों पर चर्चा की.

आइये एक-एक कर जानें कि मोदी ने इस मुद्दों पर क्‍या कहा.
1. वर्षाकाल को मोदी ने लुभावना काल बताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात की शुरुआत मॉनसून से किया. मोदी ने कहा, मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार. वर्षाकाल मन के लिये बड़ा लुभावना काल होता है. पशु, पक्षी, पौधे, प्रकृति – हर कोई वर्षा के आगमन पर प्रफुल्लित हो जाते हैं. लेकिन कभी-कभी वर्षा जब विकराल रूप लेती है, तब पता चलता है कि पानी की विनाश करने की भी कितनी बड़ी ताक़त होती है. प्रकृति हमें जीवन देती है, हमे पालती है, लेकिन कभी-कभी बाढ़, भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदायें, उसका भीषण स्वरूप, बहुत विनाश कर देता है.
2. बाढ़ से निपटने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, बाढ़ से पिछले दिनों काफी नुकसान हुआ, लेकिन इससे निपटने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. मोदी ने कहा, पिछले कुछ दिनों से भारत के कुछ हिस्सों में विशेषकर असम, नोर्थइस्‍ट, गुजरात, राजस्थान, बंगाल के कुछ हिस्से, अति-वर्षा के कारण प्राकृतिक आपदा झेलनी पड़ी है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर राहत कार्य किए जा रहे हैं. राज्य सरकारें भी अपने-अपने तरीक़े से बाढ़ पीड़ितों को मदद करने के लिए भरसक प्रयास कर रही हैं. सामाजिक संगठन भी, सांस्कृतिक संगठन भी, सेवा-भाव से काम करने वाले नागरिक भी, ऐसी परिस्थिति में लोगों को मदद पहुंचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं.
3. किसानों को राहत देने के लिए सरकार बना रही नयी योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, बाढ़ से फसलों, पशुधन, बुनियादी ढांचे, सड़कें, बिजली, संचार साधन सब कुछ प्रभावित हो जाते हैं. खास कर के हमारे किसान भाइयों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. मोदी ने कहा, इन दिनों हमने बीमा कंपनियों को और विशेष करके फसल बीमा कंपनियों को भी सक्रिय होने के लिये योजना बनायी है, ताकि किसानों के दावा निपटान तुरंत हो सके.
4. जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को बदल दिया
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के करीब एक महीने बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को बदल दिया है और यह सहयोगात्मक संघवाद का एक उदाहरण है जहां नयी परोक्ष कर प्रणाली से जुड़े सभी फैसलों में राज्य साझेदार हैं.
मोदी ने कहा कि इतने देश में इतने बड़े मानदंड पर इतना बड़ा परिवर्तन और इतने करोड़ों लोगों की सहभागिता के साथ इतने विशाल देश में उसे लागू करना और सफलतापूर्वक आगे बढ़ना, ये अपने-आप में सफलता की एक बहुत बड़ी उंचाई है. यह दुनियाभर में विश्वविद्यालयों के लिए केस स्टडी बन सकती है. उन्होंने कहा कि जीएसटी को लागू करते समय सरकार की प्राथमिकता है कि गरीब आदमी की थाली पर बोझ नहीं पड़ना चाहिए.
5. अगस्त क्रांति का महीना
मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा, अगस्त महीना क्रांति का महीना होता है. 1 अगस्त 1920 को असहयोग आन्दोलन प्रारंभ हुआ था. 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ हुआ, जिसे ‘अगस्त क्रांति’ के रूप में जाना जाता है और 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हुआ.
इस वर्ष हम भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं. लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि ‘भारत छोड़ो’ – ये नारा डॉ. यूसुफ़ मेहर अली ने दिया था. हमारी नयी पीढ़ी को जानना चाहिए कि 9 अगस्त, 1942 को क्या हुआ था.
6. मोदी ने पांच साल का एजेंड़ा बनाया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच साल का एक एजेंड़ा तैयार किया है. उन्‍होंने कहा, 1947 में हम आज़ाद हुए. आज 2017 है. क़रीब 70 साल हो गए. सरकारें आयी-गयीं, व्यवस्थायें बनी, बदली, पनपी, बढ़ी. देश को समस्याओं से मुक्त कराने के लिये हर किसी ने अपने-अपने तरीक़े से प्रयास किये.
पांच साल बाद देश की आज़ादी के 75 साल मनाएंगे. तब हम सब लोगों को दृढ़ संकल्प लेना है, 2017 को हमारा संकल्प का वर्ष बनाना है. यही अगस्त मास संकल्प के साथ हमें जुड़ना है और हमें संकल्प करना है. गंदगी – भारत छोड़ो, ग़रीबी – भारत छोड़ो, भ्रष्टाचार – भारत छोड़ो, आतंकवाद – भारत छोड़ो, जातिवाद – भारत छोड़ो, सम्प्रदायवाद – भारत छोड़ो.
7. रक्षाबंधन और जन्माष्टमी के जरिए समाज को जोड़ें
पीएम ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में सामाजिक विश्वास है. उत्सव सामाजिक सुधार का अवसर है. उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन, जन्माष्टमी आदि कई उत्सव होंगे. यहां पर गरीब की मदद का संकल्प लें. इससे व्यक्ति और समाज में जुड़ाव आता है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि रक्षाबंधन में कितने लोगों को रोजगार मिलता है. दीपावली में लोगों को रोजगार मिलता है. पीएम ने कहा कि त्योहारों में पर्यावरण का संरक्षण भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि कई लोगों ने मुझे इस संबंध में चिट्ठी लिखी है. उन्होंने बताया कि लोगों को ईको फ्रेंडली गणेश मूर्ति बनाए जाने की जरूरत महसूस हो रही है. यह अपील पीएम ने की.
8. मिट्टी के गणेश जी पूजा करें
पीएम मोदी ने कहा कि समाज के लिए जिस गणेशोत्सव को आरंभ किया गया था. उस भावना को फिर से प्रबल बनाया जाए. पीएम ने कहा कि मिट्टी से बने हुए ही गणेश का इस्तेमाल हो. पीएम देश वासियों को आने वाले उत्सव की शुभकामनाएं दीं.
9. मोदी को मिली शिकायत, उनका भाषण होता है लंबा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में चर्चा की उनका भाषण लंबा होता है. उन्‍होंने कहा, मुझे एक शिकायत लगातार सुनने को मिली है कि मेरा भाषण थोड़ा लम्बा हो जाता है. इस बार मैंने मन में कल्पना की है कि मैं इसे छोटा करुंगा्. ज्यादा से ज्यादा 40-45-50 मिनट में पूरा करुंगा. मैंने मेरे लिये नियम बनाने की कोशिश की है, पता नहीं, मैं कर पाऊंगा कि नहीं कर पाऊंगा. लेकिन मैं इस बार कोशिश करने का इरादा रखता हूं कि मैं मेरा भाषण छोटा कैसे करूं. देखते हैं, सफलता मिलती है कि नहीं मिलती है.
10. महिला क्रिकेट टीम ने 125 करोड लोगों का दिल जीता : प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात ‘ कार्यक्रम के दौरान महिला क्रिकेट टीम के आईसीसी विश्व कप में शानदार प्रदर्शन की फिर से सराहना की और कहा कि वे भले ही टूर्नामेंट जीतने से चूक गयी लेकिन अपने खेल से 125 करोड़ लोगों का दिल जीतने में सफल रही. मोदी ने कहा, ‘ ‘ हमारी बेटियां देश का नाम रोशन कर रही हैं, नयी-नयी उंचाइयां प्राप्त कर रही हैं. अभी पिछले दिनों हमारी बेटियों ने महिला क्रिकेट विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया. मुझे इसी सप्ताह उन सभी खिलाड़ी बेटियों से मिलने का मौका मिला. उनसे बातें करके मुझे बहुत अच्छा लगा, लेकिन मैं अनुभव कर रहा था कि विश्व कप जीत नहीं पायी, इसका उन पर बड़ा बोझ था. उनके चेहरे पर भी उसका दबाव था, तनाव था. ‘
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा पहले कभी देखने को नहीं मिला जबकि टीम के फाइनल में हारने के बावजूद देशवासियों ने खिलाडियों को सिर आंखों पर बिठाया और यह सुखद बदलाव है. उन्होंने कहा, ‘ ‘ पहली बार हुआ कि जब हमारी बेटियां विश्व कप फाइनल में नहीं जीत पायीं, तो भी सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने उस पराजय को अपने कंधे पर ले लिया. जरा-सा भी बोझ उन बेटियों पर नहीं पड़ने दिया, इतना ही नहीं, इन बेटियों ने जो किया, उसका गुणगान किया, उनका गौरव किया. ‘ ‘ मोदी ने कहा, ‘ ‘ मैं इसे एक सुखद बदलाव देखता हूं.

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