नयी दिल्लीः राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुरोध पर विवादास्पद इस्लामिक धर्मगुरु और आतंक के वित्तपोषण के मामलों से कथित तौर पर जुड़े जाकिर नाइक का पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है. एनआईए के अधिकारियों ने कहा कि 13 जुलाई को व्यक्तिगत पेशी के लिए जारी कारण बताओ नोटिस पर जब 51 वर्षीय नाइक की तरफ से कोई जवाब नहीं आया, तो मुंबई के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय द्वारा उसके यात्रा दस्तावेज को रद्द कर दिया गया. उन्होंने कहा कि नाइक को दिये गये नोटिस में पूछा गया था कि उसके खिलाफ लंबित विभिन्न मामलों की जांच को देखते हुए पासपोर्ट क्यों रद्द नहीं किया जाना चाहिए.
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इसके साथ ही, सूत्रों ने यह जानकारी नहीं दी कि नाइक अभी किस देश में हो सकता है और कहा कि एनआईए के उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस, अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट जारी कराने के लिए इंटरपोल से संपर्क करने के बाद संभव है कि वह बार बार अपना ठिकाना बदल रहा हो. इस आशंका के बीच एनआर्इए की तरफ से उसे व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के लिए सम्मन के साथ ही कारण बताआे नोटिस जारी किया गया था.
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एनआईए नाइक के खिलाफ आतंक और धन शोधन के आरोपों की जांच कर रही है. पड़ोसी देश बांग्लादेश में पकड़े गये आतंकवादियों के यह कहने के बाद कि वे जिहाद छेड़ने की उसकी तकरीरों से प्रेरित थे, वह एक जुलाई, 2016 को भारत से फरार हो गया. मध्यपूर्व की गतिविधियों से जुड़े एक ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘मिडिल ईस्ट मॉनीटर ‘ के मुताबिक, नाइक को सऊदी अरब की नागरिकता पहले ही दी जा चुकी है. हालांकि, इसकी अब तक स्वतंत्र रुप से पुष्टि नहीं हो पायी है. नाइक ने पिछले साल जनवरी में ही अपने पासपोर्ट का नवीनीकरण कराया था और उसकी वैधता 10 साल है.
एनआईए ने 18 नवंबर, 2016 को नाइक के खिलाफ अपनी मुंबई शाखा में भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. उसके संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को सरकार ने मामला दर्ज करने के एक दिन पहले ही गैरकानूनी घोषित कर दिया था. विवादित उपदेशक पर अपने भडकाऊ भाषणों के जरिये नफरत फैलाने, आतंकवादियों को रकम मुहैया कराने और करोड़ाें रुपये के धनशोधन का आरोप है.