नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार के शासन के तीन साल के कार्यकाल पर आधारित एक नयी किताब आयी है, जिसमें मौजूदा सरकार की कमियों पर नजर डालने के साथ इसकी नीतियों एवं दृष्टिकोणों का विश्लेषण करने की कोशिश की गयी है.‘मार्चिंग विद ए बिलियन : एनलाइजिंग नरेंद्र मोदीज गवर्नमेंट एट मिडटर्म’ नामक पुस्तक में अवसंरचना, राजकोषीय प्रबंधन, विदेश मामलों, डिजिटल प्रौद्योगिकी और सामाजिक क्षेत्रों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में राजग सरकार के प्रदर्शन का मूल्यांकन करते हुए सूक्ष्म एवं व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया गया है.
लेखक उदय माहुरकर ने कहा कि प्रधानमंत्री को अभी संस्थाओं का निर्माता बनने की कसौटी पर खड़ा उतरना होगा, जो कि राष्ट्र निर्माता बनने के लिए पूर्व शर्त है. लेकिन, उन्होंने साथ ही कहा, ‘‘हालांकि, मोदी के प्रदर्शन के इस पहलू पर फैसला सुनाने के लिये तीन साल से कम की अवधि बहुत छोटी है.’ उन्होंने यह भी कहा कि मोदी की एक समस्या यह है कि उनके पास पर्याप्त सहयोगी नहीं हैं, कठिन लक्ष्य निर्धारित करने के संदर्भ में जिन मंत्रियों ने अपने मंत्रालय को संभालने में अच्छा काम किया है, उनकी संख्या पर्याप्त नहीं है. इस किताब को पेंगुइन रैंडम हाउस ने प्रकाशित किया है.