प्रतिनिधि, मेदिनीनगर
पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के तहत सोमवार को जैन मंदिर में उत्तम सत्य धर्म का पूजा अनुष्ठान किया गया. प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी अन्नु भैया ने विधि-विधान से पूजा अनुष्ठान कराया और उत्तम सत्य धर्म के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि सत्य धर्म मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है. परम सत्य को अपनाना और जीवन में उसके अनुसार आचरण करना, जिसके लिए सत्य वचन बोलना, सत्य को समझना और सत्य के मार्ग पर चलना आवश्यक है. यह जैन धर्म के दशलक्षण पर्व के पांचवें दिन मनाया जाने वाला पर्व है. उत्तम सत्य धर्म व्यक्ति को सभी प्रकार के झूठ, कपट, भय और लोभ से मुक्त करता है, जिससे उसे मानसिक शांति और आनंद प्राप्त होता है. यह सत्य ही सभी सद्गुणों का आधार है और जीवन को गौरवशाली बनाता है. हमेशा सच बोलना, जो देखा, सुना या जाना हो उसे वैसे ही कहना चाहिए. केवल सत्य बोलना ही नहीं, बल्कि सत्य को समझना, खोजना और उसके अनुसार व्यवहार भी करना चाहिए. सत्य सभी अच्छे गुणों का आधार है और व्यक्ति को पुण्य कर्मों की ओर प्रेरित करता है. सत्य बोलने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं होता और उसे मानसिक शांति व संतोष मिलता है. सत्य व्यक्ति को कपट, भय और लोभ से बचाता है, जो अक्सर असत्य बोलने का कारण बनते हैं. सत्यनिष्ठ व्यक्ति को समाज में मान्यता, सम्मान और प्यार मिलता है. सत्य ही मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला तेजस्वी सूर्य है, और इसका अनुसरण आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलता है. सत्य के आचरण से मनुष्य के सभी दुख समाप्त हो जाते हैं. साथ ही अनु भैया ने यह भी बताया कि सत्य कुछ समय के लिए परेशान भले ही हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं होता है. आज प्रातः धर्मचंद जी सुनील कुमार जी रारा ने सौधर्म इंद्र बनकर प्रथम कलश व अभिषेक किया तथा कनक देवी रारा सपरिवार को श्रावक श्रेष्ठी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. आज मंदिर में अध्यक्ष सरस जैन, सचिव सागर जैन, अमित रारा, आदित्य रारा, पुष्पा कासलीवाल, पारुल विनायक एवं आलोक गंगवाल समेत भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

