मोहनिया सदर. सूबे में रोहतास व कैमूर का उपजाऊ भू-भाग राज्य में धान का कटोरा कहा जाता है. जिले में विभिन्न प्रकार की धान के किस्मों की खेती की जाती है. इसमें नाटी मंसूरी, कतरनी, जीरा रईस, श्रीराम गोल्ड, सोनम, बादशाह भोग, गोविंद भोग सहित कई नाम शामील हैं. वहीं, इस बार सोनाचूर चावल ने पिछले सभी रिकार्ड को तोड़ दिये और 12000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका. जिन किसानों ने सोनाचूर धान की खेती की थी और चावल को पिछले दिनों बेंचा है, उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ है. किसी ने सोचा भी नही था कि इस वर्ष सोनाचूर चावल सभी रिकाॅर्ड को तोड़ देगा. क्षेत्र में उत्पादन की दृष्टिकोण से नाटी मंसूरी किसानों की पहली पसंद मानी जाती है. क्योंकि, इसका उत्पादन दर अन्य सभी धान से अधिक होता है. लेकिन, इस बार कीमत को लेकर सोनाचूर का मुकाबला अभी तक कोई नहीं कर पाया है. राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों व देश के बड़े-बड़े होटलों में सोनाचूर चावल की अत्याधिक मांग होने के कारण इसकी कीमतों में हमेशा उतार-चढ़ाव होता रहा है. इस वर्ष सोनाचूर का चावल हर वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जहां पिछले वर्ष सोनाचूर चावल की कीमत 6000 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल तक ही रह गया था. लेकिन, इस वर्ष वही सोनाचूर का चावल 11500 से 12000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. इससे सोनाचूर धान की खेती करने वाले अन्नदाता इस बार काफी प्रफुल्लित नजर आ रहे हैं. सोनाचूर धान की विशेष तरीके से की जाती है खेती सोनाचूर की खेती एक विशेष भूखंड पर की जाती है. इसके लिए अत्यधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है या यूं कहे जिस भूमि में जलजमाव की स्थिति नहीं होती है. वहीं, इस धान की खेती की सकती है, ताकि समय से इसकी कटाई हो जाये. क्योंकि, इसका पौधा अत्यधिक बड़ा होने के कारण खेत में गिर जाता है. इससे यदि खेत सूखे नहीं है, तो अधिक नमी वाले खेतों में हार्वेस्टर नहीं चल पाता हैं. इसमें खाद व दवा भी कम लगता है. धान दराने के बाद सोनाचूर चावल को यदि मिट्टी के बर्तन (कुठिला) में नीम की पत्ती डालकर रखा जाये, तो इसमें घुन या कीड़े नहीं लगते हैं और चावल अधिक समय तक सुरक्षित रहता है. छोटे व मध्यमवर्गीय किसान नहीं कर पाते हैं सोनाचूर की खेती सोनाचूर एक हल्के किस्म का धान होने व इसका उपज दर कम होने के कारण छोटे एवं मध्यम वर्गीय किसान सोनाचूर धान की खेती नहीं करके नाटी मंसूरी धान की खेती अधिक करते हैं. आंकड़े पर नजर डाले, तो एक एकड़ में औसतन नाटी मंसूरी धान लगभग 32 क्विंटल और चावल लगभग 20 क्विंटल निकलता है. जबकि, सोनाचूर धान की उपज लगभग 10 क्विंटल व चावल सात क्विंटल तक ही हो पाती है. यही कारण है कि इसकी उपज दर कम जाने की वजह से छोटे व मध्यमवर्गीय किसान सोनाचूर धान की खेती नहीं करते हैं. सोनाचूर अपने सुगंध व स्वाद के लिए है प्रसिद्ध वैसे तो हर वर्ष सोनाचूर के चावल की कीमत में उतार चढ़ाव होता रहता है, क्योंकि इसकी मांग अंतरराष्ट्रीय बाजारों व देश के विभिन्न बड़े बड़े होटलों में अधिक होती है. बड़े होटलों में इसका उपयोग खीर बनाने के लिए अधिक किया जाता है. साथ ही पूंजीपतियों का पसंदीदा चावल होने के कारण इसकी मांग अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बनी रहती है.लगभग 90 के दशक में एक चावल संजीरा हुआ करता था, जो अपने सुगंध की वजह से बाजार में अत्यधिक लोकप्रिय था. मगर समय के साथ विलुप्त हो गया और इसके बाद दौर आया सोनाचूर चावल का. पिछले वर्ष चावल की कीमतों पर एक नजर चावल कीमत प्रति क्विंटल सोनाचूर 6000-6500 सोनम 5000-5500 श्रीराम 5000-5200 जीरा रइस 4200-4400 कतरनी 4300-4400 नाटी मंसूरी 3200-3500 क्या कहतें हैं बड़े किसान हम वर्ष 1990 से खेती करते आ रहें है. लेकिन, इसके पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था. जैसा इस बार एकाएक सोनाचूर चावल का रेट आसमान छू लिया. 12000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका इसका अंदाजा तक किसी को नहीं था. चंदन सिंह, पैक्स अध्यक्ष, बघिनी हम वर्ष 1987 से खेती करते आ रहें है, लेकिन इसके पहले ऐसा कभी नही हुआ था कि सोनाचूर चावल 12000 रुपये क्विंटल गोला पर बिका हो, हमारे पास सोनाचूर चावल अधिक था. रेट पता चलते ही बेंच दिया गया – रामटहल सिंह, भोखरी इस वर्ष सोनाचूर चावल का भाव, तो आसमान छू लिया. किसी को इसका अंदाजा ही नहीं था कि 12000 रुपये क्विंटल तक बिकेगा. इस बार तो समय निकल गया, लेकिन अगली बार सोनाचूर धान की खेती अधिक करायेंगे – पैक्स अध्यक्ष द्वारिका सिंह, भरखर
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