आनंदपुर.
बिंजु पंचायत के सुदूर गांव बोड़ेता की सरस्वती पोल्ट्री फार्म का संचालन कर आत्मनिर्भर बन गयी है. इसे निरंतर बढ़ाने के प्रयास में जुटी है. इस काम में उसके पति महादेव कुजूर का भी सहयोग मिल रहा है. पोल्ट्री फार्म से सालाना ढाई लाख रुपये की आमदनी कर सुरक्षित सामाजिक जीवन जी रही है. सरस्वती के इस प्रयास से वह महिलाओं के बीच आदर्श बन गयी है.35 हजार लोन लेकर 200 चूजे से 1500 चूजे तक का सफर
बोड़ेता में सरस्वती देवी ने एक जगह तीन पोल्ट्री शेड बनाये हैं. प्रत्येक शेड में 500 चूजों की क्षमता है. सरस्वती ने बताया कि 500 चूजे की खरीद, वेक्सिनेशन, दाना आदि मिलाकर 95 हजार की लागत आती है. चूजे 30 से 35 दिन के अंदर तैयार हो जाते हैं. एक खेप में उन्हें 20 हजार रुपये की आमदनी होती है. यहां तक पहुंचने के लिए सरस्वती को लंबा संघर्ष करना पड़ा. पहली बार समूह से 3 हजार रुपये का लोन लेकर चना आदि बेचने का काम किया. इसके बाद 10 हजार का लोन लेकर चाउमीन, चाट बेचने का काम किया. फूलो-झानो योजना से 15 हजार का लोन लेकर पोल्ट्री मुर्गी बेचने का काम किया. इसी दौरान उसे मुर्गी पालन करने का आइडिया आया. इसके लिए पति को ट्रेनिंग के लिए भेजा. समूह से 35 हजार रुपये लोन लेकर 200 चूजे के साथ एक घर पर मुर्गी पालन शुरू किया. मनरेगा योजना से शेड स्वीकृत होने पर समूह से 1 लाख रुपये का लोन लेकर 500 चूजों के साथ पोल्ट्री फार्म शुरू किया जो आज बढ़कर 3 शेड में 15 सौ क्षमता का पोल्ट्री फार्म बन चुका है.
आर्थिक तंगी के कारण बेचती थी हड़िया
पति, सास, ननद व दो बच्चों समेत 6 सदस्यों वाला परिवार कभी आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. इसके लिए सरस्वती देवी को हड़िया बेचना पड़ता था. 2018 में जेएसएलपीएस के सहयोग से सरस्वती कुजूर शोभा महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी. उसे सक्रिय महिला के रूप में काम करने का मौका मिला. घर की माली हालत ठीक नहीं रहने के कारण पति को मेहनत, मजदूरी करनी पड़ती थी. सक्रिय महिला होने के कारण निरंतर सभी बैठक में जाकर पांच सूत्रों के बारे में बताती थी. पर रुपयों की तंगी के कारण अपने जीवन में उसे साकार करना मुश्किल लग रहा था.फूलो, झानो योजना से लोन लेकर मुर्गा बेचने और इसकी खपत देखकर पोल्ट्री फार्म का आइडिया आया. जेएसएलपीएस कर्मियों के मार्गदर्शन और सहयोग से पति को प्रशिक्षण के लिए भेजा. एक और शेड बनाने की योजना है. –
सरस्वती कुजूर, बोड़ेता
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया है. महिला सदस्यों को समूह से सभी तरह की जानकारी दी जाती है. सरकारी योजनाओं से भी अवगत कराया जाता है. जिस क्षेत्र में रुचि होती है उसपर विशेषज्ञों की सहायता लेकर मदद करते हैं.-सुरेंद्र बलमुचू, एफटीसी, जेएसएलपीएस
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