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थाना में हाजत नहीं, कमरे में रखे जाते हैं कैदी

शौचालय और पेयजल की समस्या से जूझ रहा है बैजनाथपुर थाना सौरबाजार . पुलिस शिविर से तो बैजनाथपुर थाना बन गया, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी

शौचालय और पेयजल की समस्या से जूझ रहा है बैजनाथपुर थाना सौरबाजार . पुलिस शिविर से तो बैजनाथपुर थाना बन गया, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं बदला. यहां सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां पुलिस द्वारा अपराधियों को गिरफ्तार कर लाने के बाद उन्हें रखने के लिए हाजत तक नहीं है. बिहार सरकार जहां पुलिस को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कर उन्हें हाईटेक बना रही है. वहीं बैजनाथपुर थाना में पदाधिकारियों और कर्मियों को रहने के लिए आवास भी नहीं है. यहां पुलिस पदाधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों के लिए शौचालय और पेयजल की भी समस्या है. जिसके कारण कर्मियों के साथ-साथ थाना आने वाले फरियादियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सिंचाई विभाग के कोसी काॅलोनी बैजनाथपुर के जर्जर भवन में संचालित इस थाना के जिम्मे गम्हरिया, खजुरी, बैजनाथपुर और तीरी पंचायत की लगभग 50 हजार से अधिक लोगों के सुरक्षा की जिम्मेदारी है. यहां एक थानाध्यक्ष के साथ-साथ 9 एसआई, एएसआई और पीटीसी, दो ड्राइवर, दो मुंशी, एक दर्जन महिला और पुरुष सिपाही और 15 ग्रामीण पुलिस यानी चौकीदार की प्रतिनियुक्ति है. जिसे रहने के लिए आवासीय सुविधा भी नहीं है. सभी सुरक्षा कर्मी और अधिकारी कोसी कालोनी के इस जर्जर भवन में ही जैसे तैसे रहने को मजबूर हैं. बैजनाथपुर चौक पर बने बस स्टैंड के शेड में यह पुलिस शिविर लगभग 25 वर्षों से अधिक समय से संचालित हो रहा था. जिसे सहरसा-मधेपुरा मुख्य मार्ग एनएचआई चौड़ीकरण का काम शुरू होने के बाद इसे कोसी काॅलोनी में शिफ्ट कर दिया गया है. जहां मार्च 2024 में इसे थाना का दर्जा तो मिल गया, लेकिन थाना जैसी कोई सुविधा अब तक यहां के कर्मियों और पदाधिकारियों को नहीं मिल पायी है. यहां के पदाधिकारियों द्वारा कई बार विभाग के पदाधिकारियों को अपनी समस्या से अवगत कराया है. लेकिन कोई ठोस पहल नहीं हो पायी है. सूत्रों के अनुसार थाना के लिए बैजनाथपुर स्थित तिलावे नदी के तट पर वास्तुविहार के पास थाना बनाने के लिए जमीन को चिन्हित किया गया है. जहां थाना भवन बनने की संभावना है. लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि यह जगह थाना के लिए उपयुक्त नहीं है. थाना भवन बैजनाथपुर चौक के आसपास ही होनी चाहिए और चौक के आसपास बिहार सरकार की जमीन भी उपलब्ध है. स्थानीय लोग अब भी थाना के लिए चयन किए गये स्थान में परिवर्तन की मांग कर रहे हैं.

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