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kaimur News : बेंच-डेस्क नहीं, फर्श पर बैठकर छात्र-छात्राएं करते हैं पढ़ाई

विद्यालय को हाइटेक बनाने पर करोड़ों रुपये खर्च, सुविधा नदारद, विद्यालय निर्माण से लेकर अब तक एक भी बेंच-डेस्क की नहीं हुई खरीदारी

भभुआ नगर. सरकारी विद्यालय को भी निजी विद्यालय की तरह हाइटेक बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे है़ विद्यालयों में छात्र-छात्राएं के लिए बेंच डेस्क उपलब्ध कराये जा रहे है़ं इसके बावजूद जिले के कई विद्यालयों में बगैर बेंच डेस्क नहीं रहने के कारण छात्र-छात्राएं फर्श पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. यह केवल विद्यालय का हाल नहीं है, बल्कि जिले में कई स्कूलों का है. कुछ ऐसा ही नजारा भभुआ प्रखंड की सीओ पंचायत स्थित हसनपुर प्राथमिक विद्यालय में देखने को मिल रहा है, जहां वर्ग एक से लेकर पांचवीं तक के छात्र-छात्राएं बेंच-डेस्क पर नहीं, बल्कि फर्श पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. खास बात यह है की बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है. इसके कारण छात्र-छात्राओं को पानी के बीच ही बैठकर पढ़ाई करना पड़ता है. वहीं, ठंड के दिनों में छात्रों को फर्श पर बैठने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इधर, विद्यालय में छात्र-छात्राएं बेंच डेस्क पढ़ाई कर सकें, इसके लिये विद्यालय के प्रधानाध्यापक कई बार विभाग को पत्र लिख चुके हैं, इसके बावजूद भी विभाग की ओर से न तो इसको लेकर संज्ञान लिया गया न ही बेंच डेस्क की व्यवस्था विद्यालय में की गयी.

शिक्षा विभाग के विशेष सचिव ने एचएम से किया था जवाब तलब

गौरतलब है की बीते वर्ष शिक्षा विभाग के विशेष सचिव सतीश चंद्र झा ने जिले के आधा दर्जन विद्यालयों का निरीक्षण किया था. विशेष सचिव के निरीक्षण के दौरान भी दुर्गावती प्रखंड के दोनों विद्यालयों में नन्हे-मुन्ने छात्र-छात्राएं फर्श पर बैठकर पढ़ाई करते हुए मिले थे. इतना ही नहीं छात्र-छात्राएं घर से अपने साथ लेकर आये बोरी पर बैठकर पढ़ाई करते हुए मिले थे. इस पर शिक्षा विभाग के विशेष सचिव ने संज्ञान लेते हुए दोनों विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को जवाब तलब करने का आदेश दिया था.

कराड़ों रुपये खर्च के बाद भी नहीं सुधर रही सरकारी विद्यालयों की हालत

गौरतलब है कि सरकारी विद्यालयों की स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार कराड़ों रुपये खर्च करने के साथ ही कई तरह के प्रयास कर रही है. इसके बावजूद भी जिले के कई विद्यालयों की स्थिति ऐसी है कि विभागीय निर्देश के बाद भी भवन की रंगाई पुताई किये बरसों बीत गये हैं. कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां अभी शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है. विद्यालयों की साफ-सफाई व शौचालयों की साफ-सफाई करने के लिए विभाग की ओर से विभिन्न कंपनियों को कांट्रेक्ट दिया गया था. इसके बावजूद भी जमीनी हकीकत यह बयां कर रही है कि विद्यालयों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है.

जर्जर विद्यालय भवन में 54 छात्र-छात्राएं करते हैं पढ़ाई

हसनपुर प्राथमिक विद्यालय में 54 छात्र छात्राएं नामांकित हैं. वहीं, छात्रों को पढ़ाने के लिए पांच शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है. लेकिन, छात्रों के लिए बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है. विद्यालय की भवन की भी स्थिति जर्जर है. जान हथेली पर रखकर छात्र-छात्राएं विद्यालय में पढ़ाई करते हैं. भवन की दिवारें पूरी तरह से क्रैक कर गयी है, जहां फर्श पर बैठकर छात्र-छात्राओं को पढ़ाई करने में काफी दिक्कत होती है, क्योंकि बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है. वहीं, विशाल पीपल का पेड़ दीवाल को फाड़ दिया है, जिससे कभी भी भवन गिर भी सकता है, जो एक बड़ी दुर्घटना का रूप धारण कर सकती है.

क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक

विद्यालय में बेंच-डेस्क के लिए कई बार विभाग को पत्र लिखा गया है. लेकिन आज तक एक भी बेंच-डेस्क की व्यवस्था नहीं की गयी है, इससे आज भी फर्श पर बैठकर ही छात्र-छात्राएं पढ़ाई करने को विवश हैं.

प्रवीण कुमार पांडे, प्रधानाध्यापक, प्राइमरी विद्यालय हसनपुर

क्या कहते हैं डपीओ

विद्यालय की जांच करायी जायेगी. विद्यालय में छात्र हित को देखते हुए जो भी जरूरत होगा, तत्काल दिया जायेगा. इसके लिए पहल की जोयगी.

विकास कुमार डीएन, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, समग्र शिक्षा अभियानB

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