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Sasaram News : मगरदह में पांच वर्षों में नहीं लगी टंकी, आदिवासियों को पानी की टकटकी

शिवसागर. प्रखंड के बड्डी थाना क्षेत्र की कोनकी पंचायत में कैमूर पहाड़ी से सटा मगरदह टोला है. यह पूर्णत: आदिवासी टोला है. इस गांव के करीब पचास घरों में करीब

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शिवसागर. प्रखंड के बड्डी थाना क्षेत्र की कोनकी पंचायत में कैमूर पहाड़ी से सटा मगरदह टोला है. यह पूर्णत: आदिवासी टोला है. इस गांव के करीब पचास घरों में करीब तीन सौ आदिवासी रहते हैं. पहाड़ी के किनारे और पहाड़ी पर बसे अन्य गांवों की तरह मगरदह में भी पानी की किल्लत रहती है. गर्मी में यह भीषण रूप ले लेता है. केंद्र सरकार ने जब 28 अगस्त 2020 को हर घर नल का जल योजना चलायी, तो इस गांव में भी योजना देना तय हुई. कुछ माह बाद ठेकेदार के साथ कर्मचारी आये और ग्रामीणों को पानी उपलब्ध कराने का कार्य शुरू किया. लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि गांव में मोटर लग गयी. गलियों में पाइप बिछ गया. लेकिन, पानी को स्टोर करने के लिए टंकी ही नहीं लगी. आलम यह कि योजना, तो दिखाई देती है, पर पानी अब तक ग्रामीणों को पानी नसीब नहीं हुआ.

पानी के लिए दूर तक चलते हैं पैदल

वैसे तो वर्षभर इस गांव के लोगों को पानी के इंतजाम में अपने श्रम व समय गंवाना पड़ता है. पर, गर्मी के दिनों में पानी के लिए मिलों चलना पड़ता है. पानी के लिए अच्छा श्रम करना पड़ता है, तो समय भी बर्बाद करना पड़ता है.

चार दिन पहले लगा है सबमर्सिबल:

गांव के वार्ड सदस्य सुरेंद्र बनवासी ने बताया कि अभी चार दिन पहले लोग सबमर्सिबल लगा है. पाइन पहले बिछ गया है. लेकिन, अभी तक टंकी नहीं लगाया गया है. टंकी लगेगा, तभी तो पानी की आपूर्ति होगी. हमलोगों की मजबूरी समझने वाला कोई नहीं है. ठेकेदार को क्या पड़ी है? उसे अपना रुपया चाहिए. अफसरों को इस अधूरे कार्य को देखना चाहिए.

कहते हैं अधिकारी

थोड़ी देर हुई है. पाइप लग गया है. सबमर्सिबल भी लगाया गया है. आने वाले चार-पांच दिनों में कार्य पूरा कर पेयजल आपूर्ति शुरू कर दी जायेगी.

हेमंत कुमार, कनीय अभियंता, पीएचइडी.

कहते हैं ग्रामीण

पानी की किल्लत से हम कई वर्षों से जूझ रहे हैं. हम आदिवासियों की सुनने वाला कोई नहीं है. बड़े साहब, कभी हमारे गांव में आते, तो हमारा भाग्य खुल जाता.

-शंकर मांझी

हमारा गांव पहाड़ी क्षेत्र में है. हाल के दिनों में हर घर नल का जल योजना आयी, तो उम्मीद बंधी. लेकिन काम इतना धीमा है कि इस गरमी में पानी मिलने की उम्मीद नहीं है.

– पप्पू मांझी

हमारे समाज में ऐसा कोई शिक्षित नहीं है, जो अधिकारियों के पास समस्या बता सके. इसका लाभ ठेकेदार व स्थानीय अफसर उठा रहे हैं. पानी की टंकी लगाने में कौन सा वक्त लगता है.

– सुनील मांझी

पानी के लिए कोषों दूर तक जाना पड़ता है. गांव में पाइप बिछते देख, हमें उम्मीद बंधी थी कि घर में नल से पानी मिलेगा. लेकिन, इस गरमी में पानी मिलने की उम्मीद कम ही है.

-शिवमूरत बनवासीB

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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